- कांग्रेस के नेता लगातार उठा रहे हैं आलाकमान पर सवाल
- अब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दिखाए बगावती तेवर
- पृथ्वीराज चव्हाण बोले- आजाद साहब को अपमानित करने की कोई जरूरत नहीं थी
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की तैयारियों के बीच रविवार को कहा कि पार्टी को बचाने के लिए अब कदम उठाने होंगे और अगर किसी को ‘कठपुतली अध्यक्ष' बनाकर ‘बैकसीट ड्राइविंग' (पीछे से चलाने) की कोशिश हुई तो कांग्रेस नहीं बच पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) समेत सभी पदों के लिए चुनाव होना चाहिए। चव्हाण का यह भी कहना है कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाह रहे हैं तो फिर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए और चुनाव के जरिये नया कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाए।
आजाद को नहीं थी अपमानित करने की जरूरत
गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर उन्होंने कहा, ‘‘उनका इस्तीफा देना दुर्भाग्यपूर्ण है...जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने है। जम्मू-कश्मीर में बहुत ही जूनियर और बाहर से आए व्यक्ति (तारिक हमीद कर्रा) को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) का प्रमुख बनाया गया और आजाद साहब को सदस्य बनाया गया। इसका क्या कारण था? क्या इस पर चर्चा हुई? ’ कांग्रेस के ‘जी 23’ के सदस्य रहे चव्हाण ने कहा, ‘आजाद साहब को अपमानित करने की कोई जरूरत नहीं थी। यह बताने की कोई जरूरत नहीं थी कि उनकी कोई कद्र नहीं है।’
करनी होगी व्यवस्था
उनके मुताबिक, ‘‘एक तरफ सोनिया गांधी जी ने प्रयास किया कि गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे नेताओं को चुनाव अभियान में शामिल किया जाए। उन्हें कुछ न कुछ जिम्मेदारी भी दी थी। नीचे वाले लोगों, जिन्हें आजाद साहब ने ‘कोटरी’ कहा है, उन्होंने सोनिया जी की बात भी नहीं मानी।’ आजाद द्वारा त्यागपत्र में उठाए गए मुद्दों पर उन्होंने कहा, ‘आजाद साहब के त्यागपत्र में कुछ निजी आरोप हैं, उन पर कुछ नहीं कहूंगा। पहले के पत्र (अगस्त, 2020 के) पत्र में उठाए गए मुद्दे वाजिब हैं। हम आज भी उस पर कायम हैं।’ उन्होंने कहा, ‘एक अहम मुद्दा यह है कि अगर राहुल गांधी ने कहा है कि वह और उनके परिवार का कोई अध्यक्ष नहीं होगा तो उन पर विश्वास क्यों नहीं किया जाता? अगर वह नहीं बनते हैं तो दूसरी वैकल्प़िक व्यवस्था करनी होगी। चुनाव कराया जाए और फिर कोई अध्यक्ष बनेगा।’
उठाए सवाल
कांग्रेस ने आजाद पर पलटवार करते हुए पार्टी को धोखा देने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनका ‘डीनएन मोदी-मय’ हो गया है। यह पूछे जाने पर ‘जी 23’ ने अपने पत्र में जो मुद्दे उठाए थे, उनका समाधान किस हद तक हुआ तो चव्हाण ने कहा, ‘कुछ छोटे-छोटे कदम जरूर उठाए गए हैं। हमने चिंतन के लिए इसलिए कहा था कि हम दो लोकसभा चुनाव हारे, करीब 40 विधानसभा चुनाव हारे। इस पर कोई चिंतन शिविर हुआ क्या? अगर हम चिंतन नहीं करेंगे तो ऐसे ही चलता रहेगा।’ चव्हाण ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार और पिछले आठ वर्षों में हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन का उल्लेख किया। इसका उल्लेख आजाद ने भी अपने त्याग पत्र में किया था।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ‘हमने पत्र में जो बात कही थी, उसकी एक-एक बात पर हम कायम हैं। गुलाम नबी ने जो लिखा, उसमें भी कई सारी बाते हैं। अब तो बातों का समय निकल गया, अब कदम उठाने (एक्शन) का समय है। कदम नहीं उठाये गये तो पार्टी को बचाना मुश्किल होगा।’ गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और 21 अन्य कांग्रेस नेताओं ने अगस्त, 2020 में बैठक कर सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने पार्टी को फिर से मज़बूत करने के लिये कई मांग की थी जिनमें संगठन के चुनाव कराने और सक्रिय नेतृत्व की मांग प्रमुख थीं। उनके इस पत्र को कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती के रूप में देखा गया।
कराइए चुनाव
इस समूह के कई नेता जैसे आजाद, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ चुके हैं तथा वीरप्पा मोइली जैसे कुछ नेताओं ने इस समूह से खुद को अलग कर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत और कुछ अन्य नेताओं के नामों से जुड़ी चर्चा पर चव्हाण ने सवाल किया क्या चुनाव से पहले नाम तय हो जाएगा तब चुनाव तारीख बताई जाएगी? चव्हाण ने कहा, ‘आप चुनाव की तारीख तय करिये, जिसको पर्चा भरना है, वो सामने आएगा। उल्टी प्रक्रिया क्यों खड़ी कर रहे हैं? आप पहले से नाम सुनिश्चित करेंगे और फिर चुनाव कराएंगे, ऐसा कभी होता है क्या? चुनाव कराइए, जिसको लड़ना होगा, वह लड़ेगा।’
नहीं चाहिए कठपुतली अध्यक्ष
उन्होंने यह भी कहा, ‘कोई कठपुतली अध्यक्ष बनाकर ‘बैकसीट ड्राइविंग’ होती रहेगी तो फिर पार्टी नहीं बच पाएगी।’ चव्हाण ने कांग्रेस में संगठन के हर स्तर पर चुनाव कराने की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस के संविधान के मुताबिक सभी पदों पर चुनाव होना चाहिए। कांग्रेस कार्य समिति और अन्य पदों के चुनाव होते थे। सीताराम केसरी के समय यानी 24 साल पहले आखिरी बार संगठन के चुनाव हुए। अब सभी पदों पर अध्यक्ष द्वारा नामित लोग होते हैं। जो अध्यक्ष नामित करता है, उसके खिलाफ कोई बोलता नहीं है। निर्वाचित लोग अध्यक्ष को सही सलाह देते हैं। नामित लोग ऐसा नहीं करते। इसी वजह से पार्टी हारती है।’