- सियासत की बसों के सहारे साइकिल और हाथी से आगे निकली कांग्रेस
- साइकिल और हाथी से आगे निकलने की तैयारी में कांग्रेस!
- कांग्रेस ने बसों के सहारे 2022 की सियासत के लिए जमीन तैयार करने की कोशिश
नई दिल्ली: देश में कोरोना की वजह से लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन का सबसे अधिक खामियाजा किसी वर्ग ने भुगता तो वह है मजदूर और प्रवासी श्रमिकों का वर्ग। इन लोगों ने सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर दी। मजदूरों को लेकर देश में जमकर राजनीति हुई। पहले वो रेल किराए को लेकर और बाद में प्रियंका गांधी द्वारा भेजी गई बसों को लेकर। लेकिन इन सबके बीच मजदूर फिर भी सड़कों पर चलते ही नजर आए और एक बार फिर मजदूर इस राजनीति की भेंट चढ़ गया।
प्रियंका ने भेजी हजार बसें
दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार के सामने एक बसें देने का प्रस्ताव दिया तांकि मजदूर अपने घर सुरक्षित लौट सकें। योगी सरकार ने भी प्रियंका के इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बसों की डिटेल्स मांग ली। कांग्रेस ने भी अविलंब करते हुए तुरंत हजार बसों की डिटेल्स राज्य सरकार को उपबब्ध करा दी। कांग्रेस ने दावा किया कि वो बसों का पूरा खर्चा वहन करेगी और मजदूरों को घर पहुंचाएगी।
जब सवालों के घेरे में आई बसों की लिस्ट
जैसे ही कांग्रेस ने बसों की लिस्ट यूपी सरकार को भेजी तो जांच में ये बात सामने आ गई कि जो डिटेल्स प्रियंका गांधी की तरफ से भेजी गई हैं उनमें बीजेपी ने फर्जीवाड़े का आरोप लगा दिया। सामने आया कि कई नंबर थ्री व्हीलर, टू व्हीलर, एंबुलेंस और टाटा मैक्स के हैं। इतना ही नहीं कई गाड़िया जो सड़कों पर खड़ी नजर आईं वो राजस्थान रोडवेज की थी। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही हैं। काफी आरोप-प्रत्यारोप के बाद अंतत: यूपी सरकार ने बसों को चलाने की अनुमति नहीं दी।
क्या प्रियंका ने की राजनीति?
अब सवाल प्रियंका गांधी पर भी उठने लगे। सबसे पहला सवाल ये उठा कि अगर कांग्रेस के पास बसें थी और यूपी सरकार ने अनुमति नहीं दी तो वो इन बसों को अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में भी चलवाकर मजदूरों की मदद कर सकती थीं। महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में खुद हजारों प्रवासी मजदूर सड़कों पर पैदल चलते नजर आए। इतना ही नहीं जो बसें कांग्रेस ने राजस्थान बॉर्डर पर खड़ी की थीं उनके बगल से पैदल मजदूर चलते हुए दिखे। ऐसे में एक वाजिब सवाल उठता है कि अगर यूपी में इजाजत नहीं मिली तो अन्य राज्यों में तो ये बसें चल सकती थीं। ये बसें अन्य राज्यों में भेजी जा सकती थी लेकिन नहीं भेजी गईं, तो ऐसे में इसे राजनीतिक चश्मे से बिल्कुल देखा जा सकता है।
असल राजनीति 2022 की चुनावी रेस!
दरअसल मजदूरों और बसों के सहारे कांग्रेस ने बड़ी चतुराई से 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भी अपनी तैयारी को मजबूत कर लिया। यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और बसपा इसमें कहीं भी नहीं दिखाई दिए। योगी सरकार ने भले ही बसों को चलने की इजाजत नहीं दी हो लेकिन प्रियंका गांधी की बसों की राजनीति के जरिए कांग्रेस लोगों तक अपने संदेश को पहुंचाने में कुछ हद तक सफल लग रही है और इस रेस में साईकिल और हाथी फिलहाल छूटते नजर आ रहे हैं।
यूपी में है सक्रिय प्रियंका
ऐसा पहली बार नहीं है कि प्रियंका गांधी यूपी की राजनीति में सक्रिय हो रही है। इससे पहले भी वह चाहे सोनभद्र का मामला हो या नागरिकता कानून को लेकर लखनऊ में एक सामाजिक कार्यकर्ता से मुलाकात या फिर उन्नाव रेप केस, हर बार प्रियंका ने समाजवादी पार्टी और बसपा के मुकाबले कहीं आक्रामक रूख अपनाया। लॉकडाउन के दौरान भी प्रियंका ने यूपी पर ही अपना फोकस रखा और इस दौरान उन्होंने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ये संदेश दिया कि वो मजदूरों के खाने पीने का इंतजाम करें, बल्कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा।
दरअसल कांग्रेस यूपी में आने वाले समय में अपना चेहरा पेश कर सकती है और शायद यही वजह है कि प्रियंका लगातार यूपी में सक्रिय है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने कहा थी कि वो यूपी नहीं छोड़ेंगी।