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उप्र पंचायत चुनाव में होगा प्रियंका गांधी का लिटमस टेस्ट, पार्टी संगठन बनी बड़ी चुनौती

Updated Dec 03, 2020 | 18:08 IST

उत्‍तर प्रदेश में पंचाय‍त होने वाले हैं, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा की मेहनत का लिटमस टेस्‍ट भी हो जाएगा। लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद प्रियंका गांधी ने यहां कांग्रेस की कमान संभाली है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
उप्र पंचायत चुनाव में होगा प्रियंका गांधी का लिटमस टेस्ट, पार्टी संगठन बनी बड़ी चुनौती

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूती चाहती है। प्रियंका गांधी वाड्रा को मिली कमान के बाद भी हाल में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को कोई सफलता नहीं मिली। पार्टी की ओर से मिशन 2022 को लेकर संगठन की संरचना, मजबूती और अभियानों पर बल दिया जा रहा है। हालांकि पार्टी के दावों की परख अभी हाल में होने वाले पंचायत चुनाव में होने जा रही है। इसी में प्रियंका द्वारा की गयी मेहनत का भी लिटमस टेस्ट हो जाएगा। लोकसभा में मिली शिकस्त के बाद प्रियंका गांधी ने पार्टी की कमान संभाली और पूरे संगठन को ऊपर से नीचे तक बदल दिया।

संगठन में विस्‍तार की जरूरत

जमीनी कार्यकर्ता अजय कुमार लल्लू को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी। संगठन की ओर से ब्लॉक स्तर पर कमेटियों का गठन करने का दावा भी हो रहा है। प्रियंका गांधी ने छोटे-बड़े हर कार्यक्रम, प्रदर्शन में गांव तक के कार्यकर्ताओं को भी शामिल करने का निर्देश दे रखा है। अब पंचायत चुनाव में सम्मेलन आदि के लिए लोगों को जिम्मेदारी दी गयी है। उधर वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने उपचुनाव में मिली शिकस्त का ठीकरा पार्टी प्रभारी के ऊपर फोड़ रखा है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में अभी संगठन प्रसार की बहुत आवश्यकता है। कोई प्रदर्शन और आंदोलन में चंद लोगों के बीच बस प्रदेश अध्यक्ष ही दिखते हैं। इससे बड़ा गलत संदेश जाता है। राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद संगठन का बढ़ न पाना बहुत चिंतनीय विषय है। पंचायत चुनाव में सफलता के लिए पार्टी को गांव-गांव अपने कैडर को खड़ा करना पड़ेगा। वरना चुनाव जीतने में बहुत समय लगेगा।

क्या कहते हैं विश्‍लेषक?

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि जब बड़े चुनाव होते हैं उसमें तीन चीजों पर मुख्य फोकस होता है। पार्टी की नीतियों पर राय, प्रत्याशी के प्रति विचार और संगठन कितना तैयार है। कांग्रेस तीनों पैमाने पर अभी खरी नहीं उतरी है। कांग्रेस नीति, लीडरशिप और संगठन के मामले में अभी तक खरी नहीं उतर सकी है। पंचायत चुनाव सबसे जमीनी स्तर पर होता है। आम भाषा में यह बहुत कठिन माना जाता है। इसमें जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के प्रभाव का परीक्षण होता है। चूंकि बाकी चुनाव में कांग्रेस को बहुत सफलता नहीं मिली है। इसका मुख्य कारण नेतृत्व की उदासीनता और संगठन का अभाव है। इसका असर पंचायत चुनाव में देखने को मिलेगा। कांग्रेस को पंचायत के चुनाव के लिए अपने को तैयार करना होगा, अगर भाजपा से टक्कर लेनी है। कांग्रेस के नेताओं में उत्साह पैदा करना होगा और संगठन को मजबूत बनाना होगा। नहीं तो कांग्रेस के लिए राह कठिन ही रहेगी।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह कहते है कि पार्टी जमीनी स्तर से तैयारी कर रही है। आशाजनक परिणाम होंगे। वर्तमान में बसपा, भाजपा की प्रवक्ता की तरह काम कर रही है। सपा का जो हाल है वह देख ही रहे हैं। कांग्रेस ही जमीन पर दिख रही है। उपचुनाव में दो जगह उपविजेता भी रही है। कांग्रेस के पांच हजार कार्यकर्ताओं को जेल भेजना और प्रदेश अध्यक्ष पर मुकदमे इस बात का संदेश है कि कांग्रेस पार्टी जमीन पर काम कर रही है।

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