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1978 का वो कानून जिसमें फंस गए फारुक अब्दुल्ला, यहां जाने क्या है PSA

Updated Sep 16, 2019 | 18:11 IST

Public saftey act: नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला की गिरफ्तारी पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत की गई है। इस एक्ट के बारे में जानना जरूरी है कि इसे कब लागू किया गया था।

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नेशन कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला पब्लिक सेफ्टी एक्ट के घेरे में
मुख्य बातें
  • पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत फारुक अब्दुल्ला की गिरफ्तारी
  • 1978 में फारुक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला लाए थे यह ऐक्ट
  • पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत लकड़ी के तस्करी को रोकना था बाद में आतंकवाद को भी किया गया शामिल

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370( Article 370)  के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में जनजीवन सामान्य है। जम्मू-कश्मीर सरकार का कहना है कि घाटी में 88 फीसद इलाकों में से पाबंदियों को हटा लिया गया है। लेकिन घाटी के नेता नजरबंदी में हैं। नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला( farook abdullah) नजरबंदी में हैं और अब सरकार ने साफ कर दिया है कि उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट( Public safety act) के तहत बंद किया गया है। यहां यह जानना जरूरी है कि यह एक्ट क्या है। इससे पहले यह दिलचस्प है कि जम्मू-कश्मीर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट को फारुक अब्दु्ल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला लाए थे।

पब्लिक सेफ्टी एक्ट

  1. इस एक्ट के तहत सरकार किसी भी शख्स को बिना किसी ट्रायल के दो साल तक नजरबंद रख सकती है। 
  2. फारुक अब्दु्ल्ला के साथ साथ पूर्व नौकरशाह और नेता शाह फैजल को भी इसी एक्ट के अंदर नजरबंद किया गया है। 
  3. यह पहली बार नहीं है कि फारुक अब्दुल्ला या किसी दूसरे नेता को इस एक्ट के तहत नजरबंद किया गया है। इससे पहले कई अलगाववादी नेताओं को भी इस एक्ट के तहत नजरबंदी में रखे गए हैं। 
  4. 1978 में फारुक अब्दुल्ला के पिता इस एक्ट को लाए थे और उसका मकसद घाटी से लकड़ी की तस्करी को रोकना था। लेकिन बाद में इस एक्ट के दायरे को बढ़ाया गया और आतंकवाद के खिलाफ उपाय के तौर पर इस्तेमाल किया गया। 
  5. पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत कुछ इलाकों को संवेदनशील घोषित किया जाता है और वहां आम या खास लोगों के आने जाने पर कुछ पाबंदिया लगाई जाती हैं। अगर कोई शख्स इस व्यवस्था का विरोध करता है तो उसे हिरासत में लिया जाता है और पूछताछ की जाती है। 
  6. इस एक्ट के तहत ऐसे लोगों को हिरासत में लिया जाता है जिनकी वजह से कानून व्यवस्था के खराब होने का अंदेशा होता है। 
  7. इस संबंध में एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट वर्ष 2010 में आई थी और यह बताया गया कि 1978 से अब तक करीब 20 हजार लोगों को हिरासत में रखा गया है। इस सिलसिले में जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे उमर अब्दु्ल्ला ने यह वादा किया था कि अगर आगमी विधानसभा चुनाव के नतीजे उनकी पार्टी के पक्ष में रहे तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट को उनकी सरकार खत्म कर देगी। 

कहा जाता है कि इतिहास खुद को दोहराता है। अब्दुल्ला परिवार के बारे और खुद वो परिवार जम्मू-कश्मीर को जिगर का टुकड़ा मानता है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में हालात में जिस तरह से बदलाव होता रहा  लोगों की धारणा बदलती रही। जानकारों का एक बड़ा वर्ग बताता है कि अब्दुल्ला परिवार की नीतियों से घाटी और दूसरे इलाकों में लोग उन्हें विलेन की तरह मानना शुरू कर दिए थे और उसका असर आपने कई दफा नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार को बनते और बिगड़ते हुए देखा है। आज की ंमौजूदा तस्वीर में जिस तरह उनके बयान अनुच्छेद 370 को लेकर आए उसमें कई सवाल खड़े हुए कि वास्तव में यह परिवार किस तरह की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहता है। 

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