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नहीं मान रहा PAK! बॉर्डर के पास फिर दिखा ड्रोन, फायरिंग के बाद दुम दबा लौटा, 36 घंटे में चौथी घटना

अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Jul 18, 2022 | 08:14 IST

वैसे, एक रोज पहले पंजाब के पठानकोट और जम्मू-कश्मीर के सांबा में भी ड्रोन को देखा गया था।

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तस्वीर साभार:&nbspTimes Now
आधी रात को आसमान यूं टिमटिमाते हुए स्पॉट किया गया ड्रोन।
मुख्य बातें
  • लोगों ने की पुलिस को खबर, चला सर्च ऑपरेशन
  • सुरक्षा व्यवस्था इलाके में कर दी गई चाक-चौबंद
  • पहले भी नजर आ चुके हैं कई जगह ड्रोन्स

पंजाब में भारतीय सीमा के पास आधी रात को फिर से एक ड्रोन देखा गया। यह पाकिस्तानी ड्रोन बताया जा रहा है, जो कि राजपुरा और सरथी कलां के पास स्थानीयों की ओर से स्पॉट किया गया। स्थानीयों की मानें तो ड्रोन काफी देर वहां मंडराता रहा। ड्रोन की टिमटिमाती बत्ती देख लोगों ने इस बारे में सुरक्षाबलों को सूचना दी, जिसके बाद वहां फायरिंग की गई। गोलियां चलने के बाद यह पाकिस्तान की ओर लौट गया। हैरत की बात है यह पिछले 36 घंटों में ड्रोन के घुसपैठ की यह चौथी घटना है।  

वैसे, यह पहला मौका नहीं है, जब सरहद के आसपास पाक से आया कोई ड्रोन दिखा हो। इससे पहले भी कई मौके रहे हैं। ताजा मामला एक रोज पहले का है, जिसमें कल कश्मीर में (लाइन ऑफ कंट्रोल के पास), सांबा में भी देखा गया और पंजाब के पठानकोट में भी स्पॉट किया गया था। इन मामलों में फायरिंग के बाद ड्रोन पाक की ओर लौट गया था। पिछले कुछ महीनों में स्टिकी बम (घातक हथियार) और टिफिन बम सरीखी चीजें ड्रोन के जरिए भेजी गईं। 

अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर इस तरह के ड्रोन नजर आना भारत के लिए बड़ी चिंता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पवित्र यात्रा पहले भी आतंकियों के निशाने पर रही है। ऊपर से पाकिस्तान की ओर से इस तरह की कथित नापाक हरकतें और चालें तब सामने आ रही हैं, जब वहां सत्ता परिवर्तन हो चुका है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि वहां लीडरशिप भले ही बदल गई हो, पर मानकिसता नहीं बदली है।

क्या होता है ड्रोन?
दरअसल, ड्रोन एक किस्म का यूएववी (बगैर इंसानी हवाई वाहन) है। इसमें किसी पायलट या ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती है। 20वीं शताब्दी में इन्हें सैन्य मिशंस के लिए विकसित किया गया था, जो मनुष्यों के लिए "सुस्त, गंदा या खतरनाक" था। 21वीं शताब्दी तक ये अधिकांश सेनाओं के लिए जरूरी संपत्ति बन गए। ये ड्रोन अत्याधुनिक तकनीक से लैसे होने के साथ लागत में भी कमी लाते हैं। इनके जरिए जंगल की आग की निगरानी, हवाई फोटोग्राफी, उत्पाद वितरण, कृषि, पुलिस और निगरानी, ​​बुनियादी ढांचे का निरीक्षण, विज्ञान, तस्करी और अन्य काम किए जा सकते हैं। 

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