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पंजाब में चरणजीत सिंह चन्‍नी सरकार का बड़ा फैसला, 10वीं तक अनिवार्य होगी पंजाबी, उल्‍लंघन किया तो लगेगा 2 लाख का जुर्माना

Updated Nov 12, 2021 | 14:23 IST

पंजाब में सरकार ने पहली से 10वीं तक पंजाबी भाषा को एक विषय के तौर पर अनिवार्य कर दिया है। इसका उल्‍लंघन करने वाले स्‍कूलों पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। राज्‍य के सरकारी कार्यालयों में भी पंजाबी भाषा अनिवार्य की गई है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
पंजाब में मुख्‍यमंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी
मुख्य बातें
  • पंजाब में पहली से 10वीं कक्षा तक पंजाबी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है
  • इसका उल्‍लंघन करने वाले स्‍कूलों पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
  • सीएम ने सरकारी कार्यालयों में भी पंजाबी भाषा को अनिवार्य करने की घोषणा की है

चंडीगढ़ : पंजाब में मुख्‍यमंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी की अगुवाई वाली सरकार ने पंजाबी भाषा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इसके मुताबिक, राज्‍य के सभी स्‍कूलों में पहली से 10वीं कक्षा तक पंजाबी भाषा को एक अनिवार्य विषय बना दिया गया है, जबकि सरकारी कार्यालयों में भी इसे अनिवार्य करने की घोषणा की गई है। राज्‍य में सभी जगह बोर्ड्स में सबसे ऊपर पंजाबी भाषा  लिखने को कहा गया है। सरकार ने यह भी स्‍पष्‍ट किया है कि अगर कोई स्‍कूल इस निर्देश का उल्‍लंघन करता है तो उसे 2 लाख रुपये तक का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।

सीएम चन्‍नी ने किया ट्वीट

पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्‍नी ने शुक्रवार को इस संबंध में दो ट्वीट किए, जिनमें से एक पंजाबी भाषा में है, जबकि दूसरा अंग्रेजी में इसका अनुवाद है। इसमें कहा गया है, 'मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए पंजाब के स्‍कूलों में पहली से 10वीं कक्षा तक पंजाबी भाषा को एक विषय के तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है। किसी भी स्कूल द्वारा इसकी अवहेलना किए जाने या इसका अनुपालन नहीं किए जाने की स्थिति में उस पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा जा सकता है। अब सरकारी कार्यालयों में भी पंजाबी भाषा अनिवार्य होगी। राज्य में सभी बोर्ड्स पर भी शीर्ष पर पंजाबी भाषा लिखी होगी।'

इससे पहले गुरुवार को पंजाब विधानसभा में पंजाबी भाषा से जुड़े दो महत्‍वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। पंजाबी और अन्य भाषा शिक्षा (संशोधन) विधेयक 2021 राज्‍य के स्‍कूलों में पहली कक्षा से 10वीं तक के छात्रों के लिए इस भाषा को अनिवार्य बनाता है। साथ ही यह प्रावधान भी करता है कि अगर स्‍कूलों ने इसका पालन नहीं किया तो उन पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। 

वहीं, पंजाब राज्य भाषा (संशोधन) विधेयक 2021 के तहत राज्‍य के सरकारी कार्यालयों में पंजाबी भाषा अनिवार्य की गई है। इसके तहत अधिकारियों और कर्मचारियों को सभी आधिकारिक कार्य पंजाबी भाषा में ही करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उल्‍लंघन किए जाने पर अधिकारियों व कर्मचारियों पर 5,000 तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

भाषाई अस्मिता का मसला

यहां उल्‍लेखनीय है कि पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और राज्‍य में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने और अपनी नई पार्टी के गठन के बाद कांग्रेस अपनी जमीन मजबूत करने के प्रयासों में जुटी हुई है। नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाए जाने से नाराज कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में आलाकमान के हस्‍तक्षेप के बाद सीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्‍होंने दिल्‍ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तक से मुलाकात की है।

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अपनी नई पार्टी का भी गठन किया है। साथ ही बीजेपी के साथ सशर्त गठबंधन की संभावनाओं से भी उन्‍होंने इनकार नहीं किया है। नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर उनकी नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्‍होंने यहां तक कहा है कि वह उन्‍हें चुनाव में जीत हासिल नहीं करने देंगे। आगामी चुनाव के मद्देनजर ये सब परिस्थितियां कांग्रेस के लिए चुनौती पैदा कर सकती हैं। इन सबके बीच पंजाबी भाषा अस्मिता से जुड़े चन्‍नी सरकार के फैसलों को बेहद अहम समझा जा रहा है।

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