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योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में यूपी के विकास को रफ्तार देंगे एक्‍सप्रेस-वे

Updated Jun 18, 2020 | 07:45 IST

योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में यूपी विकास की नई रफ्तार पकड़ने को तैयार है। प्रदेश में निर्माणाधीन एवं प्रस्‍तावित 4 एक्‍सप्रेस-वे आर्थ‍िक और औद्योगिक विकास को पंख लगाने का काम करेंगे।

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Yogi Adityanath Expressway
मुख्य बातें
  • उत्‍तर प्रदेश में तीन एक्‍सप्रेस वे न‍िर्माणाधीन
  • गंगा एक्‍सप्रेस की भी डीपीआर हो चुकी है तैयार
  • पूरब से लेकर पश्चिम तक के व‍िकास को म‍िलेगी रफ्तार

भगवाधारी मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के संकल्‍प और प्रेरणा से उत्‍तर प्रदेश का नवनिर्माण हो रहा है और यह नए भारत के निर्माण में योगदान दे रहा है। नए उत्‍तर प्रदेश में भ्रष्‍टाचार, कामचोरी, गुंडागर्दी के लिए कोई जगह नहीं है। यहां केवल प्रदेश के सर्वांगीण विकास की बात होगी। कोरोना संकट काल को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जिस प्रकार अवसर में बदलने का काम किया, उसकी प्रशंसा देश में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्‍तान ने भी की है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में उत्‍तर प्रदेश विकास की नई रफ्तार पकड़ने को तैयार है। नोएडा से आगरा जाने वाले 'यमुना एक्‍सप्रेस-वे' और आगरा से लखनऊ तक जाने वाले 'आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस वे' के बाद अब पूर्वांचल एक्‍सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्‍सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्‍सप्रेस-वे और गंगा एक्‍सप्रेस-वे प्रदेश के आर्थ‍िक और औद्योगिक विकास को पंख लगाने का काम करेंगे। वहीं, चार एक्‍सप्रेस वे के निर्माण से योगी आदित्‍यनाथ पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव से भी बड़ी लकीर खींच देंगे।

एक तरफ यह सभी एक्‍सप्रेस-वे प्रदेश में आवागमन को सुगम करेंगे, वहीं दूसरी तरफ उपेक्षित स्‍थानों की प्रगति का मार्ग भी प्रशस्‍त करेंगे। इन सभी एक्‍सप्रेस-वे के आसपास के क्षेत्र को औद्योगिक विकास के नजरिए से विकसित किया जाएगा और इनके दोनों तरफ औद्योगिक गलियारा बनाया जाएगा। इन गलियारों में खाद्य प्रसंस्‍करण, एमएसएमई इकाइयां, वेयरहाउस और लॉजिस्टिक पार्क बनाने की योजना पर काम हो रहा है। बेहतर कनेक्टिविटी से उद्योगों से सामान प्रदेश से एक्‍सपोर्ट हो सकेगा। निवेश को लेकर शुरू हुई प्रतिस्पर्धा में कनेक्टिविटी और सिक्योरिटी का अपना महत्व है। 

सभी एक्सप्रेस-वे, प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर में मील के पत्थर साबित होंगे। लंबे समय से प्रदेश को जिस आर्थिक विकास की तमन्ना थी, उसे आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की सोच है कि एक तीर से कई निशाने किए जाएं। एक्‍सप्रेव वे और औद्योगिक गलियारों के निर्माण से प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था को जहां बल मिलेगा, वहीं लाखों की संख्‍या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उत्‍तर प्रदेश वासियों को उनके घर में ही रोजगार मिलेगा। सरकार ने उद्योगों के लिए बनी नीतियों की समीक्षा करते हुए उसे सरल बनाने का फैसला किया है। इसका लाभ ये होगा कि बाहर से आकर कंपनियां यहां स्‍थापित होंगे और यहां के निवासियों को रोजगार प्रदान करने का काम करेंगी। 

बुंदेलखंड का होगा चहुंमुखी विकास

कई वर्षों से विकास की राह देख रहा बुलंदेखंड क्षेत्र मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की प्राथमिकता में शामिल है। यही वजह है कि फार्मा उद्योग लगाने से लेकर अन्‍य योजनाओं में मुख्‍यमंत्री बुंदेलखंड पर विशेष ध्‍यान देने का जिक्र कर चुके हैं। इसी क्रम में बुंदेलखंड एक्‍सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है जिससे अलग थलग रहा यह क्षेत्र मुख्‍य धारा में आएगा। 14,716 करोड़ की लागत से बनने वाले इस एक्‍सप्रेस वे की घोषणा योगी ने अप्रैल 2017 में की थी। चित्रकूट से शुरू होने वाला यह एक्‍सप्रेस बांदा, राठ, उरई, जालौन, औरैया होता हुआ इटावा पहुंचने पर आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस से जुड़ेगा। 296 किलोमीटर की जिस दूरी को तय करने में अभी पांच से छह घंटे लगते हैं, वह इस एक्‍सप्रेस के निर्माण के बाद आधा रह जाएगा। 

चमक उठेगा पूर्वांचल

उत्‍तर प्रदेश के पूर्वांचल को प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के लिए बनाए जा रहे पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे का निर्माण कार्य बहुत तेजी से किया जा रहा है। गाजीपुर के हैदरिया गांव से शुरू होने वाला यह एक्‍सप्रेस लखनऊ में चांद सराय गांव पर जाकर खत्‍म होगा। 340 किलोमीटर लंबा यह एक्‍सप्रेस वे छह लेन का होगा, जिस पर दूरी लगभग तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी। उत्‍तर प्रदेश एक्‍सप्रेस वे औ‍द्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) की देखरेख में 22,494 करोड़ की लागत से बनने वाला यह एक्‍सप्रेस वे पूर्वांचल के विकास में नई इबारत लिखने जा रहा है। यह एक्‍सप्रेस वे गाजीपुर के बाद मऊ, आजमगढ़, अंबेडकर नगर, अयोध्‍या, सुल्‍तानपुर, अमेठी, बाराबंकी से होकर गुजरेगा। 

गोरखपुर के विकास के लिए लिंक एक्‍सप्रेस वे

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍याथ पांच बार गोरखपुर से सांसद रहे और यहां के लोगों से भावनात्‍मक जुड़ाव रखते हैं। यही वजह है मुख्‍यमंत्री का विशेष स्‍नेह यहां के लोगों पर और विकास की दृष्टि इस क्षेत्र पर रहता है। 5 करोड़ आबादी वाले गोरखपुर क्षेत्र के विकास के लिए गोरखपुर लिंक एक्‍सप्रेस वे की नींच रख योगी आदित्‍यनाथ इस क्षेत्र को सीधे राजधानी से जोड़ना चाहते हैं। 91 किलोमीटर लंबा यह एक्‍सप्रेस वे गोरखपुर को पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे से जोड़ेगा। 5,876 करोड़ की लागत से बन रहे इस मार्ग पर सड़क निर्माण का कार्य जारी है। 

पूरब को पश्चिम से जोड़ेगा गंगा एक्‍सप्रेस-वे

अपने कार्यों से आम जनजीवन को सुगम बनाने के साथ ही योगी आदित्‍यनाथ कई ऐसे कीर्तिमान रच रहे हैं जिन्‍हें तोड़ पाना किसी भी राज्‍य के लिए आसान नहीं होगा। 29 जनवरी 2019 को योगी आदित्‍यनाथ ने गंगा की धारा के साथ 'गंगा एक्‍सप्रेसवे' के निर्माण को हरी झंडी दी। दो फेस में बनने वाले इस एक्‍सप्रेस की लंबाई 1020 किलोमीटर होगी जोकि अपने आप में कीर्तिमान है। यह देश का सबसे लंबा एक्‍सप्रेस वे होगा। 602 किलोमीटर के पहले फेज में यह मेरठ से अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, कन्‍नौज, उन्‍नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज पहुंचेगा। वहीं दूसरे फेस में एक सेक्‍शन 110 किलोमीटर का होगा जोकि गढ़मुक्‍तेश्‍वर से उत्‍तराखंड बॉर्डर तक और एक सेक्‍शन 314 किलोमीटर का होगा जोकि प्रयागराज को बल‍िया से जोड़ेगा। 

उतर सकेंगे फाइटर प्‍लेन

उत्‍तर प्रदेश एक्‍सप्रेस वे औ‍द्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)  के मीडिया सलाहकार दुर्गेश उपाध्‍याय बताते हैं कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में उस पर भारतीय वायुसेना के फाइटर प्‍लेन उतारे जा सकें। इस एक्‍सप्रेस वे पर अयोध्‍या जनपद में 3.20 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी लड़ाकू विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए बनाई ज रही है। जानकारी के अनुसार, अगले साल इस मार्ग पर यातायात शुरू करने का अनुमान है। एक्सप्रेसवे के निर्माण से प्रदेश का पूर्वी एवं बुंदेलखंड क्षेत्र प्रदेश की राजधानी एवं आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे एवं यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से देश की राजधानी से त्वरित एवं सुगम यातायात के कॉरिडोर से जुड़ जाएगा। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे। साथ ही पूर्वांचल और बुंदेलखंड के पर्यटन के विकास को बल मिलेगा।

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