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Rafale: 18 साल पहले इस वजह से कांपा था चीन और अब एक बार फिर कांपेगा, राफेल भारतीय सरजमीं को छूने को तैयार

Updated Jul 28, 2020 | 09:48 IST

rafale and sukhoi fighter plane: 18 साल पहले आज की ही तरह इंतजार था जब सुखोई विमान भारतीय वायुसेना के हिस्सा बने थे। अब एक बार फिर उस पल का इंतजार है जब राफेल विमान औपचारिक तौर पर एयरफोर्स के हिस्सा बन जाएंगे।

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18 साल पहले सुखोई बने थे भारतीय वायुसेना के हिस्सा
मुख्य बातें
  • सुखोई 30 एमकेआई को साल 2002 में भारतीय सेना में शामिल किया गया
  • 18 साल पहले उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक
  • राफेल और सुखोई की साझा ताकत से भारतीय वायुसेना की क्षमता में इजाफा

नई दिल्ली। देश को उस पल का इंतजार है जब राफेल लड़ाकू भारतीय सरजमीं पर उतरेंगे। राफेल सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं है बल्कि वो भारत के शौर्य में चार चांद लगाने वाला एक अत्याधुनिक हथियार है। जब हम बात करते हैं कि राफेल की तो आज से 18 साल पहले यानि साल 2002 में सुखोई एमकेआई का भी इसी तरह इंतजार किया जा रहा था तो उसके पीछे वजह थी। 2002 में चीन के साथ भारत के रिश्ते में इतनी कड़वाहट नहीं थी। लेकिन भारतीय वायुसेना को मजबूती देने के लिए सुखोई की जरूरत शिद्दत से महसूस हो रही थी।

2002 में सुखोई 30 एमकेआई की हुई खरीद
सुखोई की खरीद रूस से की गई थी। सुखोई के बारे में कहा जाता है कि पलक झपकते ही वो दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर आंखों से ओझल हो सकती है। अब उससे उन्नत किस्म का लड़ाकू विमान राफेल भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनेगा। यहां पर हम आपको सुखोई विमान की खासियत बता रहे हैं। 
ताकतवर लड़ाकू विमानों में से एक सुखोई-30 MKI 

सुखोई विमान की खासियत

  1. 2000 में भारत और रूस के बीच समझौता
  2. पहला सुखोई-30 2002 में भारत को मिला
  3. सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम की मदद से रात और दिन में ऑपरेशन को दिया जा सकता है अंजाम
  4. सुखोई विमान में हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है
  5. 3,000 किलोमीटर की दूरी तक जाकर दुश्मन के ठिकाने को कर सकता है तबाह

राफेल लड़ाकू विमान इसलिए हैं खास
पांच राफेल विमानों को सात भारतीय पायलट भारत ला रहे हैं जिनकी लैंडिंग अंबाला एयरबेस पर कराई जाएगी। इसके लिए अंबाला एयरबेस के तीन किमी दायरे को ड्रोन मुक्त जोन घोषित किया गया है। राफेल के बारे में रिटायर्ड एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार बताते हैं कि इसका भारतीय वायुसेना में शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 18 साल में किसी लड़ाकू विमान को शामिल नहीं किया गया था। इससे पहले सुखोई को शामिल किया गया था। वो कहते हैं कि राफेल के सामने एफ-16 और जेएफ-17 कहीं नहीं टिकते हैं, इसके साथ ही अगर चेंग्दू जे-20 से तुलना करें तो राफेस उससे ऊपर है।

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