- भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने जा रहे हैं राफेल लड़ाकू विमान
- भारत में आने के बाद से ही तैयारियों को दे रहे थे अंजाम
- पायलट, ग्राउंड स्टाफ और वायुसेना अधिकारियों ने तेजी से आगे बढ़ाई विमान ऑपरेशनल करने की प्रक्रिया
नई दिल्ली: आखिरकार राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा बनने जा रहे हैं। 27 जुलाई को फ्रांस से उड़े 5 विमानों के 29 जुलाई को भारत में लैंड होने के बाद इस लड़ाकू विमान के लिए एक और अहम दिन आ चुका है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और रक्षा सचिव अजय कुमार की मौजूदगी में एक कार्यक्रम के दौरान आधिकारिक तौर पर राफेल को भारतीय वायुसेना की गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा।
इस बीच कई लोगों के मन यह सवाल आ सकता है कि 29 जुलाई को भारत आने के बाद 10 सितंबर को भारतीय वायुसेना के बेड़े में आधिकारिक रूप से शामिल होने के बीच इन विमानों की क्या गतिविधियां थीं और इन्हें किस काम में इस्तेमाल किया जा रहा था। आज हम ऐसे ही कुछ पहलुओं पर बात करेंगे कि जब कोई नया विमान भारत आता है तो उसके लिए क्या प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।
भारत के लिए राफेल तैयार होने के बाद इन विमानों पर भारतीय पायलटों की ट्रेनिंग फ्रांस में ही काफी समय तक चली थी। इसके बाद 7000 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय करके यह विमान पहली बार भारत के अंबाला एयरबेस पर उतरे। विमान के भारत आने के बाद इसे ऑपरेशनल करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
विमान को ऑपरेशनल करने की प्रक्रिया:
(Photo- Getty Images)
ऑपरेशनल करने से मतलब है कि राफेल जैसा नया विमान आने के बाद उसे भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल धीरे धीरे परखा जाता है। पायलट लगातार इसकी क्षमता का आकलन करते हैं और इसे उड़ाते हुए संचालित करने के लगातार अभ्यास के साथ महारत हासिल करते हैं। अलग अलग परिस्थितियों में विमान को उड़ाकर देखा जाता है।
उदाहरण के लिए कुछ समय पहले रात के समय हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में राफेल को उड़ाने के अभ्यास की खबरें सामने आई थीं। लद्दाख में चल रहे तनाव के बीच तैयारियों को धार देने की यह खबर सुर्खियों में रही थी। भारत आए 5 राफेल में 2 डबल सीट वाले ट्रेनर विमान हैं जिन पर पायलट ट्रेनिंग ले रहे हैं।
(Photo- Dassault Aviation)
पायलट के अलावा एयरबेस पर काम करने वाले ग्राउंड स्टाफ और तकनीकी सर्विस से जुड़े लोगों पर भी इस विमान को किसी भी अभियान के लिए जल्द से जल्द तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। ऑपरेशनल करने की प्रक्रिया के दौरान अंबाला एयरफोर्स बेस पर राफेल के लिए ढांचागत विकास और तैयारियों को अंतिम रूप देने पर भी काम किया गया होगा।
इसके अलावा भारत ने खास तौर पर फ्रांस से राफेल में कुछ अतिरिक्त उपकरण लगाने के लिए कहा था जोकि भारतीय परिस्थितियों के लिए जरूरी थे। इनका परीक्षण भी 29 जुलाई को विमान के भारत आने के बाद किया गया होगा। गौरतलब है कि राफेल मीटियोर, स्कैल्प, माइका मिसाइल और बंकर तबाह करने वाले हैमर हथियार की बेहद खातक क्षमताओं से लैस आधुनिक विमान है, जिसने काफी हद तक भारत को चीन और पाकिस्तान पर बढ़त दिला दी है।