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दल बदलने पर 6 साल चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध- कानून में बदलाव के लिए राघव चड्ढा लाएंगे प्राइवेट मेंबर्स बिल

कुंदन सिंह | Special Correspondent
Updated Aug 05, 2022 | 14:47 IST

Raghav chadhha : राघव चड्ढा के द्वारा प्रस्तावित नए संसोधन में एंटी डिफेक्शन को रोकने के लिए 2/3 की जगह 3/4 विधायकों का समर्थन होना जरूरी बताया गया है। अगर कोई भी सांसद या विधायक चुनाव जीतने के बाद अपना दल बदलता है तो उसे 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
राज्यसभा सांसद हैं राघव चड्ढा।

Raghav chadhha : आम आदमी पार्टी के पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा दल-बदल कानून में संशोधन के लिए शुक्रवार को संसद में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करेंगे। चड्ढा के विधेयक में दल बदलने वाले सांसद या विधायकों 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ने की बात कही गई है। साथ ही हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना को रोकने के लिए स्पीकर के आदेश पर 7 दिन में विधायक या सांसद को पेश होना होगा। इसके साथ ही किसी भी पार्टी के द्वारा जारी की गई व्हिप का नियम सिर्फ नो कॉन्फिडेंस मोशन जैसे हालात में लागू होगा।

क्या है खास

राघव चड्ढा के द्वारा प्रस्तावित नए संसोधन में एंटी डिफेक्शन को रोकने के लिए 2/3 की जगह 3/4 विधायकों का समर्थन होना जरूरी बताया गया है। अगर कोई भी सांसद या विधायक चुनाव जीतने के बाद अपना दल बदलता है तो उसे 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होगा। वहीं स्पीकर के सामने 7 दिन के अंदर विधायक और सांसदों को हाजिर होना पड़ेगा अगर कोई विधायक या सांसद ऐसा नहीं कर पाता तो उन्हें अयोग्य करार कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही सांसदों को अपने मत का इस्तेमाल करने की आजादी देने की बात कही गई है। अभी तक व्हिप लगने के कारण सांसद कई अहम बिल पर निष्पक्ष वोटिंग नहीं कर पाते हैं। व्हिप का नियम सिर्फ 'नो कॉन्फिडेंस मोशन' के समय लागू करने पर जोर दिया गया है। कई छोटे राज्यों में 'एंटी डिफेक्शन' के कई केस सामने आए हैं। इसलिए 2/3 की जगह 3/4 विधायकों के समर्थन का नियम लागू किया जाए। स्पीकर द्वारा अयोग्यता याचिका पर फैसला 30 दिन से लेकर 3 महीने के अंदर देने का प्रावधान हो।

क्या होता हैं प्राइवेट मेंबर बिल

दोनों सदनों में से किसी भी हॉउस का सांसद, जो मंत्री नहीं है, वह प्राइवेट मेंबर होता है। प्राइवेट मेंबर्स द्वारा पेश किए जाने वाले बिलों को प्राइवेट मेंबर्स का बिल कहा जाता है। मंत्रियों द्वारा पेश किए जाने वाले बिलों को सरकारी बिल कहते हैं। संसद का काम मुख्य रूप से नया कानून बनाना या फिर पुराने कानूनों में जरूरी संसोधन के साथ नया बिल लाना होता है। जिसके लिए सरकार के तरफ से विभाग से जुड़े मंत्री बिल लेकर आते हैं। पर कोई ऐसा विषय या जरूरी बदलाव बतौर सांसद किसी भी सदस्य को लगता है तो वह निजी पहल से प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आता है।

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