- गत 13 जनवरी को हिज्बुल के दो आतंकियों के साथ पकड़ा गया डीएसपी देविंदर सिंह
- गिरफ्तारी से आतंकी साजिश का हुआ खुलासा, देविंदर ने बताया कि 12 लाख में हुई थी डील
- कांग्रेस ने सरकार पर उठाए हैं सवाल, पुलवामा हमले की जांच नए सिरे से कराने की मांग
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गिरफ्तार डीएसपी देविंदर सिंह मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि देविंदर सिंह को चुप कराने के लिए सरकार इस मामले की जांच एनआईए को सौंप रही है। बता दें कि गत 13 जनवरी को देविंदर सिंह को हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़ा गया था। पुलिस अधिकारी इन्हें लेकर जम्मू जा रहा था।
राहुल गांधी ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'आतंकवादी डीएसपी देविंदर को चुप कराने का सर्वश्रेष्ठ तरीका इस केस की जांच एनआईए को सौंप देना है। इन दिनों एनआईए के प्रमुख दूसरे मोदी-वाईके हैं। वाईके ने गुजरात दंगों एवं हरेन पांड्या की हत्या की जांच की है। वाईके के हाथ में इस केस को सौंपे जाने का मतलब है इसका खत्म हो जाना ।' राहुल ने इस ट्वीट के साथ #WhoWantsTerroristDavinderSilenced हैशटैग से सवाल भी पूछा है।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने एनआईए से जम्मू-कश्मीर पुलिस से निलंबित डिप्टी सुपरिटेंडेंट देविंदर सिंह की मामले की जांच शुरू करने के लिए कहा है। देविंदर सिंह ने पूछताछ में बताया है कि हिज्बुल आतंकियों को जम्मू पहुंचाने के लिए उसकी 12 लाख रुपए में डील हुई थी। देविंदर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उससे लंबी पूछताछ की है। इसके साथ ही डीएसपी के आवास पर छापे भी मारे गए। देविंदर सिंह के आवास से दो पिस्टल, एक एके राइफल और बड़ी मात्रा में गोलियां बरामद हुईं।
देविंदर सिंह को गत 13 जनवरी को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के मीर बाजार से उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों नावीद बाबा, अल्ताफ और एक अंडरग्राउड कार्यकर्ता को अपने वाहन से लेकर जम्मू जा रहा था। राहुल गांधी ने गुरुवार को इस मामले में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता ने पूछा कि इस पुलिस अधिकारी को कौन संरक्षण दे रहा था।
देविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने पुलवामा आतंकी हमेल की नए सिरे से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि इस बात की जांच करने की जरूरत है कि कहीं यह पुलिस अधिकारी गत फरवरी में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में शामिल तो नहीं था।