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Congress: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले राहुल गांधी के बयान से G -23 को मिला एक और मौका !

Updated Feb 25, 2021 | 08:07 IST

उत्तर भारत की राजनीति के बारे में राहुल गांधी क्यो बोल बैठे कि ना सिर्फ उन्हें विपक्षी ताना दे रहे हैं, बल्कि उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने असहमति जताई है जिनमें कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा का नाम खास है।

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राहुल गांधी ने केरल में दिया था बयान
मुख्य बातें
  • केरल में उत्तर भारत की राजनीति के बारे में राहुल गांधी ने कहा था कि वहां अलग तरह की राजनीति होती है
  • राहुल गांधी के बयान की बीजेपी जमकर आलोचना कर रही है
  • कांग्रेस के जी-23 धड़े ने भी दबी जुबान राहुल गांधी को उनके बयानों के लिए घेरा

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी अपने बयानों के बाद विवाद में आ जाते हैं। अब सवाल यह है कि क्या वो बिना समझे कुछ बोल जाते हैं या जो कुछ बोलते हैं उसके असर को समझते हैं। उनके विरोधियों द्वारा उनके बयानों में बाल की खाल निकालना तो राजनैतिक धर्म माना जा सकता है। लेकिन अगर कांग्रेस के लोग ही उनके बयान से इत्तेफाक ना रखें तो कई बड़े सवाल उठ खड़े होते हैं। सबसे पहले कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा ने क्या कहा इसे जानना जरूरी है। 

कपिल सिब्बल ने क्या कहा
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कल केरल के त्रिवेंद्रम में राहुल गांधी के बयान पर बोलते हैं। वह कहते हैं, "मैंने जो कहा, उस पर टिप्पणी करने के लिए कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि वह यह बता सकते हैं कि उन्होंने किस संदर्भ में कहा ... हमें देश में मतदाताओं का सम्मान करना चाहिए और उनकी बुद्धिमत्ता को बदनाम नहीं करना चाहिए ..."

आनंद शर्मा वाणी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि हो सकता है कि राहुल गांधी ने अवलोकन किया हो, शायद अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए ... किस संदर्भ में उन्होंने यह अवलोकन किया, वह स्पष्ट कर सकते हैं कि कोई अनुमान या गलतफहमी नहीं है। जहां तक उनकी खुद की बात है तो वो इस विषय पर व्यापक संदर्भ को समझे बिना कुछ अधिक नहीं बोल सकते हैं। 

क्या कहते हैं जानकार
अब कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा के इस तरह के बयान के पीछे की वजह क्या है, क्या जी-23 धड़े को एक और मई जून में होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले एक और मौका मिल गया है इसे समझना दिलचस्प है। इसके बारे में जानकारों की क्या राय है इसे भी समझना जरूरी है। जानकार कहते हैं कि सियासी पिच पर जब कोई भी नेता लूज बॉल फेंकता है तो उसके विरोधियों के लिए सुनहरा मौका मिल जाता है। आप देख सकते हैं कि जैसे ही अमेठी के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने उत्तर भारत में अपने राजनीतिक अनुभव को साझा किया उसके ठीक बाद स्मृति ईरानी ने एहसान फरामोश और थोथा चना बाजे घना जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर दिया। 

बीजेपी के बाद कांग्रेस की तरफ से जो टिप्पणी आई वो दिलचस्प है। आमतौर पर जब किसी पार्टी का कद्दावर नेता बोलता है तो आम तौर पर दूसरे नेता उसका समर्थन करते हैं। लेकिन जिस तरह से आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल की तरफ से आवाज उठी है वो खास है। ये वो लोग है जो पार्टी के अंदर बुनियादी बदलाव की वकालत कर रहे हैं और हाल ही में कुछ महीनों पहले गुलाब नबी आजाद की तरफ से आवाज उठाई गई उस आवाज का सुर देते नजर आए। सामान्य तौर पर कांग्रेस के उन विरोधी आवाज को जी-23 की संज्ञा दी गई है। जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी ने भले ही सच्चाई को बयां किया हो।लेकिन एक बात तो तय है कि आने वाले समय में उन्हें बाहरी और भीतरी दोनों तरह के विरोध का सामना करना पड़ेगा।  

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