जयपुर : राजस्थान में नवजात बच्चों की जान की कीमत बहुत कम होती जा रही है। जहां एक तरफ हाल ही में कोटा के एक सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की जान चली गई, वहीं दूसरी तरफ दिसंबर के महीने में बूंदी जिले के भी एक अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत हो गई। अपर जिला कलेक्टर (ADC) ने शुक्रवार को अस्पताल का दौरा तो शिशुओं की मौत की संख्या का खुलासा हुआ।
अस्पताल प्रशासन ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि बच्चों की मौतें विभिन्न कारणों से हुईं। इसके पीछे उनकी गैरजिम्मेदारी कारण नहीं है।
अस्पताल में ड्यूटी इनचार्ज, हितेश सोनी ने बताया, 'दिसंबर के दौरान विभिन्न बीमारियों के कारण 10 शिशुओं की जान चली गई। उनमें से कुछ तब आए थे जब उन्हें अन्य स्थानों से इस अस्पताल में भेजा गया था, कुछ शिशुओं का वजन कम था, जबकि कुछ को सांस लेने की समस्या थी और कुछ ने दूषित पानी का सेवन किया था। वे पहले से ही गंभीर स्थिति में थे, इसीलिए मौतें हुईं।'
इस बीच, अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने घटना की रिपोर्ट ली और अस्पताल प्रशासन को दूषितकरण की किसी भी संभावना से बचने के लिए साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से ज्यादा नवजातों की मौत की खबर आ चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि जिन बच्चों को बचाया जा सकता है उसमें कामयाबी मिल रही है। लेकिन ज्यादातर बच्चे जो अस्पताल में भर्ती हैं उनकी हालत पहले से ही गंभीर है।
वहीं मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि अस्पताल में जरूरी उपकरणों की कमी है। डॉक्टर सिर्फ दिलासा देते हैं कि सब कुछ सही हो जाएगा, लेकिन बच्चे दम तोड़ रहे हैं।
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कोटा में 100 से अधिक शिशुओं की मौत के सिलसिले में राजस्थान सरकार को नोटिस भेजा है।