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राखीगढ़ी का क्या है ऐतिहासिक महत्व, यहां क्यों म्यूजियम बनाने जा रही है सरकार

Updated Feb 01, 2020 | 17:40 IST

Rakhigarhi: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में हरियाण के राखीगढ़ी में म्यूजियम बनाने का ऐलान किया है जानिए कहां है राखीगढ़ी और क्या है इसका महत्व।

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Rakhigarhi Harppan site

नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट विधानसभा में पेश किया तो उन्होंने संस्कृति मंत्रालय का जिक्र करते हुए पुरात्विक धरोहरों को सहेजने के लिए भी सरकार की योजना का ऐलान कर दिया। उन्होंने भारतीय धरोहर संरक्षण संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव के साथ-साथ हड़प्पा सभ्यता के स्थलों को संरक्षित करने के लिए पांच जगहों पर म्यूजियम बनाने का ऐलान कर दिया। ऑ

वित्तमंत्री ने जिन पांच जगहों का ऐलान किया है उसमें उत्तरप्रदेश का हस्तिनापुर, असम की शिवसागर, गुजरात की धोलावीरा और तमिलनाडु का    राखीगढ़ी शामिल है। हरियाणा के हिसार जिले में स्थित राखीगढ़ी को भारत का सबसे बड़ा हड़प्पाकालीन स्थल माना जाता है। कई प्रमाण इस करह के मिले हैं जिसमें इसके तकरीबन 8 हजार साल पुराने होने के संकते भी मिले हैं। 

राखीगढ़ी का ऐतिहासिक महत्व गुजरात और पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो, गनवेरीवाला और भारत में स्थित धोलावीरा जितना है। ये हड़प्पा काल में पांच मुख्य शहर थे। लेकिन राखीगढ़ी सरस्वती नदी के किनारे स्थित थी। इसलिए इसे सरस्वती-सिंधू घाटी सभ्यता के प्रमुख शहर में से एक माना जाता है। 

राखीगढ़ी सिन्धु घाटी सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलावीरा के बाद दूसरा सबसे बड़ा ऐतिहासिक नगर है। पुरातत्ववेत्ताओं ने हरियाणा स्थित राखीगढ़ी की खोज 1963 में की थी। विश्व विरासत कोष की मई 2012 रिपोर्ट में 'खतरे में एशिया के विरासत स्थल' में 10 स्थानों को चिह्नित किया है उसमें राखीगढ़ी का नाम भी शामिल है। एएसआई को राखीगढ़ी में खुदाई करके पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन पांच हजार साल पुरानी कई वस्तुएं बरामद की थी। यहां से कई नरकंकाल भी मिले थे। उनमें से कुछ दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में भी रखे गए हैं। राखीगढ़ी में एएसआई ने लोगों के आवागमन के लिए बने मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा  सहित कई धातुओं से बनी वस्तुएं मिली थीं। 

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