- गुलाम नबी आजाद के समर्थन में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ी
- जयराम रमेश ने आजाद के डीएनए को मोदीफाइड बताया
- कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने कहा कि राज्यसभा की सीट नहीं मिली तो साथ छोड़ दिया
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से संबंध विच्छेद कर लिया है तो कांग्रेस के कद्दावर नेता भड़क उठे। ज्यादातर नेताओं ने उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाया कि आपने जो कुछ किया अच्छा नहीं किया। जो पार्टी आपके लिए हर समय खड़ी रही मान सम्मान दिया उसे आपने महज इसलिए ठुकरा दिया कि आपको राज्यसभा का टिकट नहीं मिला। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आपके द्वारा उठाए गए कदम की मैं निंदा करता हूं। सोनिया गांधी, जिनके परिवार ने आपको सब कुछ दिया, इलाज के लिए विदेश में हैं और आप अभी यह निर्णय ले रही हैं। मैंने आपसे कभी ऐसी उम्मीद नहीं की थी।41 साल - 1980 से 2021 तक गाँधी परिवार की चार पीढ़ियों के साथ लगातार सत्ता का आनंद लिया (24 साल केंद्रीय मंत्री, 5 साल CM, 35 साल महासचिव)। अब उसी नेतृत्व और दल में सभी दोष नज़र आने लगे। व्यक्ति के चरित्र का यही मानक हैं। खुद सत्ता में, तो सब ठीक। सत्ता से ज़रा बाहर, तो सब ग़लत।
दिग्विजय सिंह ने साधा निशाना
दिग्विजय सिंह ने GhulamNabiAzad के इस्तीफे पर कहा कि कांग्रेस ने उन्हें सब कुछ दिया, उनका कहना है कि जब राहुल गांधी ने 2013 में एक अध्यादेश फाड़ा तो उन्हें दुख हुआ। अगर आपको आपत्ति थी, तो आपने 2014 में आरएस एलओपी का पद क्यों स्वीकार किया? बंद करो ये बहाने। हो सकता है कि अब आपके उन लोगों के साथ संबंध हों, जिन्होंने धारा 370 को खत्म कर दिया था: परगुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में रहते हुए पिछले 40 वर्षों में या तो पार्टी में या सरकार में सत्ता का आनंद लिया। अगर उनके पास मुद्दे होते तो वे उन्हें उठा सकते थे लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे। राज्यसभा की सीट नहीं मिलने के कारण उन्होंने ऐसा कदम उठाया।
आजाद का कांग्रेस में राजनीतिक सफर
आजाद राजीव गांधी और नरसिंह राव के कार्यकाल के साथ ही सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वालीं सोनिया गांधी के विश्वासपात्र बने रहे।जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के भद्रवाह के सोती गांव में 1949 में जन्मे आजाद ने कांग्रेस में धीरे-धीरे अपना कद बढ़ाया और 2006 में अपने गृह राज्य के मुख्यमंत्री बने।राजनीति में अपने लगभग 50 वर्षों के सफर में वह दो बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। पार्टी में कई शीर्ष पदों पर रहने के साथ ही आजाद 1982 के बाद से बनीं कांग्रेस सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे। वह 2006 और 2008 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य भी रहे।