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अब वर्ल्ड बैंक एजुकेशन के एडवाइजर बने दिसले, ग्लोबल टीचर अवार्ड जीत बढ़ा चुके हैं देश का मान 

Updated Jun 04, 2021 | 08:06 IST

सोलापुर इलाके में गरीब परिवारों से आने वाली लड़कियों की पढ़ाई में दिसले का बहुत बड़ा योगदान है। दिसले को जून 2021 से जून 2024 के लिए वर्ल्ड बैंक एजुकेशन का सलाहकार बनाया गया है।

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अब वर्ल्ड बैंक एजुकेशन के एडवाइजर बने दिसले।
मुख्य बातें
  • दिसले को जून 2021 से जून 2024 के लिए वर्ल्ड बैंक एजुकेशन का सलाहकार बनाया गया है
  • साल 2020 का ग्लोबल टीचर प्राइज जीतने वाले दिसले सोलापुर के एक स्कूल में टीचर हैं
  • उपलब्धि हासिल करने पर महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने दिसले को बधाई दी है

नई दिल्ली : साल 2020 का ग्लोबल टीचर प्राइज जीतने वाले महाराष्ट्र के सोलापुर के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक रनजीत सिंह दिसले ने एक बार फिर अपने राज्य और देश का नाम रोशन किया है। दिसले को जून 2021 से जून 2024 के लिए वर्ल्ड बैंक एजुकेशन का सलाहकार बनाया गया है। लड़कियों की शिक्षा और भारत में क्यूआर कोड युक्त टेक्स्ट बुक से शिक्षा को बढ़ावा देने पर दिसले को ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 से सम्मानित किया गया। बच्चों को तेजी से सीखाने में मदद करने के लिए वर्ल्ड बैंक ने एक नए कोच प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट के तहत शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाया जाएगा। 

महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री ने दी बधाई
यह उपलब्धि हासिल करने पर महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने दिसले को बधाई दी है। उन्होंने कहा, 'प्रशंसनीय! पहले आप ग्लोबल टीचर अवार्ड के विजेता बने। अब आप वर्ल्ड बैंक एजुकेशन के एडवाइजर नियुक्त हुए हैं, इसके लिए आपको बधाई।' सोलापुर इलाके में गरीब परिवारों से आने वाली लड़कियों की पढ़ाई में दिसले का बहुत बड़ा योगदान है। पुरस्कार जीतन के बाद दिसले ने कहा कि वह अपने एक मिलियन डॉलर के पुरस्कार को नौ अन्य प्रतिभागी शिक्षकों के साथ साझा करेंगे।

शिक्षा देने के लिए सीखी कन्नड़ भाषा
दिसले साल 2009 में स्कूल में शिक्षण कार्य शुरू किया। शुरुआत में इस स्कूल में लड़कियों की संख्या बहुत कम थी लेकिन उनके प्रयासों से 
जिला परिषद के स्कूल में उनकी संख्या बढ़ने लगी। स्कूल में लड़कियों को कन्नड़ में शिक्षा देने के लिए दिसले ने पहले यह भाषा सीखी। इसके बाद कन्नड़ भाषा में पुस्तकों का अनुवाद किया। दिसले ने क्यूआर आधारित जो टेक्स्ट बुक तैयार किया उसका इस्तेमाल आज पूरे देश में हो रहा है। दिसले के स्कूल में अब छात्र की उपस्थिति 100 प्रतिशत है। 

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