नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस सहित विपक्ष पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया। प्रसाद ने कहा कि चुनावों में खारिज किए गए लोग सुप्रीम कोर्ट के कॉरिडोर से देश को चलाना चाहते हैं। कश्मीर के बारे में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वहां स्थितियां सामान्य हो रही हैं और अनुच्छेद 370 हटने के बाद लोग वहां बदलाव महसूस कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने ये बातें टाइम्स नाउ समिट 2020 के दौरान कहीं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'चुनाव में हारे हुए हताश लोग सुप्रीम कोर्ट में 'कपटपूर्ण' याचिकाएं दायर करते हैं। इन याचिकाओं का एक एजेंडा है। ये लोग सुप्रीम कोर्ट के कॉरिडोर से देश चलाना चाहते हैं। मैं बता देना चाहता हूं कि इनमें यदि साहस या हिम्मत है तो वे हमें चुनाव में हराकर दिखाएं और देश पर शासन करें। हारे एवं चुनाव में खारिज किए गए लोग सुप्रीम कोर्ट के जरिए देश को चलाना चाहते हैं।'
राहुल गांधी सहित विपक्ष के इन आरोपों पर कि सत्ता में आने के बाद भाजपा ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया है। इस सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'यह मुल्क राहुल गांधी को कितना समझ में आता है, इस पर हमें चर्चा करनी पड़ेगी। कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में करीब-करीब सभी सीटों पर अपनी जमानत जब्त करा ली है। गनीमत है कि इस बार उन्होंने ईवीएम को दोष नहीं दिया। मैं पूछता हूं कि ईवीएम, चुनाव आयोग और सीएजी जैसी संस्थाओं पर लांछन किसने लगाए। सुप्रीम कोर्ट और सेना प्रमुख जैसी संस्थाओं के बारे में किसने गलत बातें कहीं।'
कश्मीर के बारे में प्रसाद ने कहा कि कुछ समय पहले वह सोपोर और बारामूला गए थे। वहां लोग मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। सोपोर में उनसे लोगों ने ई-मंडी खोलने की मांग की। कश्मीर की जनता को अब तक बहकावे में रखा गया। पिछली सरकारों ने उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं दिया। जम्मू-कश्मीर में नई सोच पैदा हुई है। वहां बदलाव हो रहा है। कश्मीर की जनता अवसर ढूंढ रही है। सरकार ने विकास के द्वार खोले हैं।
विपक्ष को कश्मीर नहीं जाने के सवाल पर प्रसाद ने कहा, 'बड़ी संख्या में लोगों को रिहाई हुई है। अब कर्फ्यू कहीं पर नहीं है। इंटरनेट सेवाएं बहाल हुई हैं। विपक्ष के कुछ लोग वहां हंगामा खड़ा करना चाहते हैं। कश्मीर में स्थितियां सामान्य होने दें। कश्मीर को लेकर यदि साजिश की जाएगी तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। हम विपक्ष को वहां जाने से नहीं रोक रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'इंटरनेट की बहाली वहां का कलेक्टर तय करता है। हिंसा रोकने के लिए सरकारें इंटरनेट पर लगाती हैं। कश्मीर में एक समय था जब एक स्थान पर एक मुद्दे पर बड़ी संख्या में लोग जुटते थे और भारत की एकता एवं अखंडता को चुनौती दी जाती थी। ये सब सोशल मीडिया एवं इंटरनेट के जरिए होता था। सरकार में आने के बाद हमने इस पर रोक लगाई।'