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राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली, क्या कांग्रेस के निशाने पर है यूपी चुनाव

Updated Feb 23, 2022 | 14:57 IST

यूपी में मौसम चुनावी है और उसके बीच राजस्थान सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है। यूपी के सरकारी कर्मचारियों से सपा और कांग्रेस दोनों का वादा है कि अगर सत्ता में आने का उन्हें मौका मिला को वो ओपीएस की बहाली करेंगे।

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राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली, क्या कांग्रेस के निशाने पर है यूपी चुनाव
मुख्य बातें
  • राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल, बजट 2022 में की गई थी घोषणा
  • 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को फायदा
  • 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारी ओपीएस के दायरे से थे बाहर

 2004 के बाद जो सरकारी कर्मचारी नियुक्त हुए थे उनके लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार मे पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है। इस फैसले को यूपी में कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि   2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को एनपीएस के दायरे में लाया गया है। लेकिन कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को अपना मुख्य वादा बनाया हुआ है। यह बात अलग है कि सीएम योगी आदित्यनाथ कहना है कि समाजवादी पार्टी इस विषय पर दोहरी राजनीति कर रही है। 

अशोक गहलोत सरकार का ऐलान
राजस्थान सरकार ने बजट 2022 में इस संबंध में ऐलान किया था जिसे  अब अमल में ला दिया गया है। सरकार ने कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति 1 जनवरी 2004 के बाद हुई है वो लोग ओल्ड पेंशन स्कीम के दायरे में आएंगे। 2004 से सरकारी नौकरी में  (सशस्त्र बलों को छोड़कर) नियुक्त कर्मचारियों को एनपीएस के तहत पेंशन का प्रावधान है।  NPS Scheme के तहत पेंशन मिलती है. इस स्कीम में सरकार 14% का अंशदान करती है।


क्या कहते हैं जानकार

राजस्थान सरकार के इस फैसले पर जानकारों का कहना है कि निश्चित तौर पर यह मुद्दा कांग्रेस यूपी के चुनाव में उठाएगी। कांग्रेस से स्टार प्रचारक इस बात का जिक्र करेंगे कि सरकारी कर्मचारियों के बारे में वो सिर्फ बातें नहीं करते हैं बल्कि जमीनी फैसला भी करते हैं। राजस्थान में हमने करके दिखाया है और अगर यूपी में सरकार बनाने का मौका मिला है तो यहां भी लागू करेंगे। यूपी में अभी तीन चरण के चुनाव होने हैं लिहाज विपक्ष की इस मुद्दे पर तकरीर बीजेपी को मुश्किल में डालेगी। हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। बेशक इस फैसले को कांग्रेस भुना सकती है लेकिन उसका संगठन इतना कमजोर है वो इसे वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी। 

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