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भाजपा में योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ा, पार्टी साधेगी कई सियासी समीकरण

Updated Nov 08, 2021 | 16:24 IST

Yogi Adityanath: भाजपा ने योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ाकर पार्टी के साथ-साथ मतदाताओं को स्पष्ट संदेश दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है 2022 में अगर भाजपा की सरकार वापस आती है तो योगी आदित्यनाथ फिर मुख्यमंत्री बनेंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
फाइल फोटो: योगी आदित्यनाथ का बढ़ा कद
मुख्य बातें
  • भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र में जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे नेता हैं, वैसे ही यूपी में योगी आदित्यनाथ पार्टी के नेता हैं।
  • 2022 में अगर भाजपा की दोबारा बहुमत के साथ सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा।
  • भाजपा यूपी में योगी आदित्यनाथ को आगे कर, मतदाताओं के मन से सारे कन्फ्यूजन दूर करना चाहती है।

BJP National Executive  Committee  Meeting: बीते 29 अक्टूबर को लखनऊ में गृह मंत्री अमित शाह (AMIT SHAH) ने जिस अंदाज में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की प्रशंसा की थी, उसके सियासी मायने रविवार को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ हो गए। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, भाजपा के अकेले मुख्यमंत्री थे जिन्हें इस बैठक में शामिल होने के लिए न केवल दिल्ली बुलाया गया बल्कि बैठक में उन्होंने राजनीतिक प्रस्ताव भी पेश किया। जबकि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे। इसके पहले 2017-18 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने इन प्रस्तावों को पेश किया था। भाजपा में राजनीतिक प्रस्ताव का अहम महत्व है। इसके तहत पार्टी भविष्य की राजनीतिक योजनाओं और अपने विजन के बारे में जानकारी देती है। जाहिर है प्रस्ताव पेश कर न केवल पार्टी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ा है। बल्कि उसके जरिए भाजपा ने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को कई सियासी संदेश भी दे  दिए है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताई वजह

योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्ताव पेश करने के पार्टी के फैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा 'हमें उन्हें क्यों नहीं चुनना चाहिए? वह सबसे बड़े राज्य में सरकार चला रहे हैं। कोविड महामारी के दौरान उनके काम को हर कोई जानता है चाहे वह प्रवासी मजदूरों के लिए हो या गांवों में रोजगार पैदा करने के लिए। उनका काम शानदार रहा है। वे संसद में वरिष्ठ सांसद भी रह चुके हैं। "

अमित शाह ने आधे घंटे के संबोधन में बार-बार लिया नाम

29 अक्टूबर को लखनऊ में भाजपा के सदस्यता कार्यक्रम में अमित शाह ने आधे घंटे के अपने संबोधन में कार्यकर्ताओं के सामने बार-बार योगी आदित्यनाथ का नाम लिया। उन्होंने कहा मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारे घोषणा पत्र को देख लीजिए, योगी जी और उनकी टीम ने 90 प्रतिशत से ज्यादा वादों को पूरा किया है।  योगी सरकार माफियाओं से उत्तर प्रदेश को मुक्ति दिलाने का काम किया है। सारे मानकों में उत्तर प्रदेश में बेहतरीन सुधार करने का काम योगी आदित्यनाथ  ने किया है। यूपी के युवाओं को पढ़ाने की व्यवस्था, नई पीढ़ी तैयार करने की व्यवस्था, योगी आदित्यनाथ ने की है। उन्होंने यह भी कहा अगर 2024 में नरेंद्र मोदी  को प्रधानमंत्री बनाना है तो 2022 में एक बार फ‍िर योगी आदित्यनाथ  को मुख्यमंत्री बनाना होगा.

क्या है सियासी मायने

योगी आदित्यनाथ का जिस तरह भाजपा ने कद बढ़ाया है, उसके कई सियासी मायने हैं। इस पर सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज  (सीएसडीएस) के प्रोफेसर संजय कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं ' पार्टी को इस बात का अहसास है कि योगी जी की यूपी भाजपा पर पकड़ मजबूत है और उन्हें एक मजबूत मुख्यमंत्री के रुप में देखा जा रहा है। पार्टी सीधे तौर पर यह संदेश देना चाहती है, पार्टी उनके समर्थन में खड़ी है। और उनके नेतृत्व को लेकर कोई मतभेद और कन्फ्यूजन नहीं है।

इन नेताओं को स्पष्ट संदेश

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ शशिकांत पांडे  टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं  कि प्रदेश में एक समय ऐसा लग रहा था कि शीर्ष नेतृत्व चुनावों से पहले चेहरा बदलना चाहता है। लेकिन अब पार्टी ने साफ कर दिया है कि केंद्र में जैसे नरेंद्र मोदी हमारे नेता हैं, वैसे यूपी में योगी आदित्यनाथ ही नेता हैं और उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। अमित शाह ने लखनऊ दौरे पर खुल कर उनका समर्थन किया। 

इसी तरह केशव प्रसाद मौर्य बीच-बीच में ऐसे बयान देते रहते हैं कि लगता है कि वह 2022 में अलग नेतृत्व देख रहे हैं। इसीलिए भाजपा द्वारा योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ाने के पीछे स्पष्ट संदेश है कि अगर भाजपा जीतती है तो चुनाव बाद योगी आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा मतदाताओं और कैडर में जोश भरने के लिए बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत यह संदेश दे रही है। 

यूपी में एक मात्र चेहरा

शशिकांत पांडे एक बात और कहते हैं, देखिए उत्तर प्रदेश में पिछले 6-7 साल में भाजपा के साथ ओबीसी वोटर बड़ी संख्या में जुड़े हैं। लेकिन इस बीच  कोरोना और किसान आंदोलन की भी चुनौतियां है। ऐसे में पार्टी में किसी तरह का कन्फ्यूजन मतदाताओं में नहीं रखना चाहती है। वह साफ तौर पर संदेश दे रही है कि जैसे केंद्र में हमारे पासे मोदी हैं, वैसे ही उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। आने वाले समय में अभी इस तरह के समर्थन की बातें और खुल कर आएगी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी का दौरा करेंगे तो वह योगी आदित्यनाथ के समर्थन में खुल कर बातें कहेंगे।

2022 में भी मुख्यमंत्री बनेंगे

संजय कुमार कहते हैं फिलहाल तो पार्टी यही संदेश दे रही है कि साल 2022 में आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन बहुत कुछ नतीजों पर निर्भर करेगा। क्योंकि अगर पार्टी उनके नेतृत्व में जीतती है तो उनका कद बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा और पार्टी उन्हें बड़ी जगह देने पर विवश हो जाएगी। लेकिन अगर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, तो जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया को साइडलाइन किया गया , वैसी कोशिश यूपी में दिख सकती है।

हिंदुत्व  ट्रंप कार्ड

शशिकांत पांडे कहते हैं, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि 2017 में भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा था। उनकी हिंदुत्ववादी छवि ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई। ऐसे में यह छवि चुनावों में भी पार्टी भुनाएगी। जिस तरह वह बार-बार अयोध्या, बनारस जाते हैं, वह उसी रणनीति का हिस्सा है। जिसका पार्टी को फायदा मिलता है। हिंदुत्व भाजपा के लिए कितना मायने रखता है, इस पर संजय कुमार कहते हैं, देखिए यह तो भाजपा का ट्रंप कार्ड है। जब उसे लगेगा कि पार्टी को जीतने के लिए इसकी जरूरत है तो वह उसका भरपूर इस्तेमाल करेगी और योगी आदित्यनाथ की छवि उसमें पूरी तरह फिट बैठती है।

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