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RSS के प्रथम प्रवक्‍ता, वरिष्ठ विचारक एमजी वैद्य का निधन, पीएम मोदी ने योगदान को किया याद, जताई संवेदना

Updated Dec 19, 2020 | 20:50 IST | एजेंसी

RSS के वरिष्ठ विचारक और संगठन के पहले प्रवक्ता माधव गोविंद वैद्य नहीं रहे। नागपुर में 97 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है और उनके योगदान को याद किया।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
RSS के प्रथम प्रवक्‍ता, वरिष्ठ विचारक एमजी वैद्य का निधन, पीएम मोदी ने योगदान को किया याद, जताई संवेदना

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ विचारक और संगठन के पहले प्रवक्ता माधव गोविंद वैद्य का शनिवार को नागपुर में निधन हो गया। वह 97 वर्ष के थे। वह कुछ दिनों पहले ही कोरोना वायरस से संक्रम‍ित हुए थे। हालांकि बाद में वह ठीक हो गए थे, पर शुक्रवार को अचानक उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ गया और शनिवार दोपहर उन्‍होंने अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है और बीजेपी को मजबूती प्रदान करने में उनके योगदान को याद किया। उनका अंतिम संस्‍कार रविवार को होगा।

दिवंगत आरएसएस विचारक एमजी वैद्य के पोते विष्णु वैद्य ने बताया कि अपराह्न 3:35 बजे एक निजी अस्पताल में उनका निधन हुआ। वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे लेकिन बाद में ठीक हो गए थे। उनका स्वास्थ्य शुक्रवार को अचानक बिगड़ गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमजी वैद्य के निधन पर संवेदना जताते हुए कहा कि वह दशकों तक आरएसएस के लिए काम करते रहे। उन्‍होंने बीजेपी को मजबूती प्रदान करने के लिए भी काम किया। उनके निधन से दुखी हूं। पीएम मोदी ने एमजी वैद्य के परिजनों व प्रशंसकों के प्रति संवेदना जताई।

आठ दशक तक RSS से जुड़े रहे

संगठन की स्थापना होने के करीब दो दशक बाद वैद्य आरएसएस के स्वयंसेवक बने और करीब आठ दशक तक इससे जुड़े रहे। शहर के आरएसएस समर्थित मराठी दैनिक 'तरुण भारत' के पूर्व मुख्य संपादक वैद्य नागपुर में मोरिस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही 1943 में संघ के सदस्य बने। तरुण भारत के एक पूर्व संपादक ने कहा कि वैद्य आरएसएस के पहले 'प्रचार प्रमुख' (प्रवक्ता) नियुक्त किए गए थे। उन्होंने बताया कि वैद्य संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भी रहे।

इस वर्ष जनवरी में वैद्य ने महाराष्ट्र को चार हिस्सों में विभाजित करने की मांग उठाकर विवाद खड़ा कर दिया था और इस मांग को लेकर वह विभिन्न वर्गों के निशाने पर आ गए थे। वर्धा जिले की तरोडा तहसील में जन्मे वैद्य एमए में स्वर्ण पदक विजेता थे। उन्होंने 1949 से 1966 तक नागपुर के हिस्लोप कॉलेज में अध्यापन भी किया और इस दौरान वह आरएसएस से भी जुड़े रहे। वैद्य 1966 में तरुण भारत के संपादकीय विभाग का हिस्सा बने। वह 1978 से 1984 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के नामित सदस्य भी रहे।

RSS के शुरुआती दिनों से रहे साथ

वैद्य ने कई किताबें लिखीं और वह करीब 25 वर्षों तक तरुण भारत में भी स्तंभ लिखते रहे। वैद्य उन चंद लोगों में शुमार रहे जो आरएसएस के शुरुआती दिनों से लेकर इसके विस्तार के साक्षी बने। वैद्य के परिवार में उनकी पत्नी सुनंदा, तीन बेटियां और आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य समेत पांच बेटे हैं। वैद्य ने संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार समेत अब तक रहे संघ के सभी छह सरसंघ चालकों को देखा है।

मनमोहन वैद्य ने ट्वीट किया, 'मेरे पिता एमजी वैद्य ने सक्रिय, सार्थक और प्रेरक जीवन के 97 वर्ष पूर्ण करने के बाद आज नागपुर में अपराह्न 3:35 बजे अंतिम सांस ली। वह वरिष्ठ पत्रकार और एक हिंदुत्व भाष्यकार थे। वह नौ दशकों तक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक रहे।' अपने शोक संदेश में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वैद्य को बहुआयामी प्रतिभा का धनी और उत्कृष्ट पत्रकार करार दिया। उन्होंने कहा कि संघ ने एक वरिष्ठ सहयोगी को खो दिया।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि वैद्य अपने 100 वर्ष पूरे करेंगे लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। गडकरी ने ट्वीट किया, 'आरएसएस की विचारधारा को आकार देने में उन्होंने अहम योगदान दिया।' गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी ट्वीट करके वैद्य के निधन पर शोक जताया।

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