- रूस ने स्पष्ट रूप से कहा-2025 तक वह भारत को देगा पांच एस-400
- दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में शुमार है रूस की यह प्रणाली
- साल 2018 में भारत और रूस के बीच हुए इस रक्षा सौदे से जुड़े करार पर हस्ताक्षर
नई दिल्ली : दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में शुमार एस-400 के भारत को मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस बारे में रूस के डिप्टी अंबेसडर रोमन बाबुश्किन ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि रूस 2025 तक भारत को पांच एस-400 मुहैय्या कराएगा। बता दें एस-400 के लिए भारत और रूस के बीच डील हो चुकी है और इस वायु रक्षा प्रणाली को हासिल करने के लिए भारत लंबे समय से प्रयास कर रहा है।
रूस के डिप्टी अंबेसडर ने कहा, 'हम 2025 तक भारत को पांच एस-400 उपलब्ध कराएंगे। दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली रूस के पास है और इससे भारत की सुरक्षा और पुख्ता होगी।' एस-400 के लिए भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक समझौता अक्टूबर 2018 में हुआ। भारत दौरे पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी के साथ डील पर हस्ताक्षर किए। इस रक्षा सौदे के लिए दोनों देशों के बीच 39,000 करोड़ रुपए के करार पर हस्ताक्षर हुए।
भारत पड़ोसी देशों से मिलने वाली चुनौतियों को देखते हुए अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करना चाहता है और इसके लिए उसने एयर डिफेंस सिस्टम मामले में बेजोड़ माने जाने वाली रूस के एस-400 सिस्टम को खरीदने के लिए आगे बढ़ा। जबकि अमेरिका इस डील के पक्ष में नहीं है।
अमेरिका ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ह्वाइट हाउस प्रशासन का कहना है कि भारत अगर रूस से एस-400 खरीदता है तो उसे भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भारत अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद हाल के वर्षों में इस डील के लिए आगे बढ़ा है।
अमेरिका का कहना है कि भारत रूस के साथ यदि इस सौदे पर आगे बढ़ता है तो उसे काट्सा के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। काट्सा के तहत अमेरिका उन देशों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का काम करता है जो रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे उसके दुश्मन देशों से रक्षा सौदे करते हैं।
भारत ने अपनी रक्षा जरूरतों से अमेरिका को अवगत कराया है। नई दिल्ली ने अमेरिका से स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस डील पर आगे बढ़ेगी क्योंकि भू-स्थानिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए उसे इस तरह की वायु रक्षा प्रणाली की बेहद जरूरत है। अमेरिकी प्रशासन का एक धड़ा भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझता भी है और इसे ध्यान में रखते हुए उसने भारत को प्रतिबंधों से छूट देने की बात भी कही है।