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'कुछ ऐसे थे सैम मानेकशॉ, जो दुश्मनों को भी अपना कायल बना लेते थे'; जनरल वीके सिंह ने साझा किया एक किस्सा

Updated Apr 03, 2021 | 19:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Sam Manekshaw: आज पूर्व सेना अध्यक्ष सैम मानेकशॉ की जन्मतिथि है। 2008 में उनका निधन हो गया था। मानेकशॉ 40 साल तक सेना में रहे और इन्होंने 5 युद्ध लड़े।

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फाइल फोटो

1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले सैम मानेकशॉ की आज जन्मतिथि है। इस मौके पर पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने उनसे जुड़ा हुआ एक किस्सा साझा किया है। वीके सिंह ने बताया है कि सैम मानेकशॉ में ऐसा क्या था, जिससे वो अपने दुश्मनों को भा अपना कायल बना लेते थे।

फेसबुक पर सैम मानेकशॉ की एक तस्वीर के साथ जनरल वीके सिंह ने लिखा है, '1971 के युद्ध के उपरान्त 90,000 पाकिस्तानियों को बन्दी बनाया गया। बन्दी शिविर में पाकिस्तानी सेना के सूबेदार मेजर के खेमे में बाहर से किसी ने अंदर आने की अनुमति मांगी। पराजय के उपरान्त इस प्रकार का सम्मान प्रायः अनअपेक्षित होता है। सूबेदार मेजर ने जब देखा तो वहाँ कोई और नहीं, विजयी भारतीय सेना के प्रमुख - जनरल सैम मानेकशॉ खड़े थे। वहाँ पाकिस्तानी बंधकों के लिए की गयी व्यवस्था के बारे में पूछने के बाद सैम बहादुर ने पाकिस्तानी विधवाओं को सब्र बँधाया, उनके द्वारा बनाया हुआ भोजन चखा, और सबसे मिले जुले। जब वे जाने लगे तो सूबेदार मेजर ने उनसे कुछ कहने की अनुमति मांगी। सूबेदार मेजर ने कहा - "मुझे अब मालूम चला कि भारत युद्ध क्यों जीता। वह इसलिए क्योंकि आप अपने सैनिकों का ख्याल रखते हैं। जिस तरह आप हमें मिलने आये, वैसे तो हमारे खुद के लोग हमसे नहीं मिलते। वो तो अपने आपको नवाबज़ादे समझते हैं। "कुछ ऐसे थे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, जो दुश्मनों को भी अपना कायल बना लेते थे। भारत के इस सपूत को उनकी जन्मतिथि पर मेरा सादर नमन।' 

1969 में सेनाध्यक्ष बने

मानेकशॉ भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ। मानेकशॉ 1934 में भारतीय सेना में भर्ती हुए। 1969 को उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया और 1973 में फील्ड मार्शल का सम्मान प्रदान किया गया। 1973 में सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे वेलिंगटन, तमिलनाडु में बस गए थे। वृद्धावस्था में उन्हें फेफड़े संबंधी बिमारी हो गई थी और वे कोमा में चले गए। उनकी मृत्यु वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल के आईसीयू में 27 जून 2008 को हुई।

फील्ड मार्शल बनने वाले पहले भारतीय

1971 में सैम के युद्ध कौशल के सामने पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश का निर्माण हुआ, उनके देशप्रेम व देश के प्रति निस्वार्थ सेवा के चलते उन्हें 1972 में पद्मविभूषण तथा 1 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल के पद से अलंकृत किया गया। उनका पूरा नाम सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ था। सैम मानेकशॉ फील्ड मार्शल बनने वाले पहले भारतीय थे। 

5 युद्धों में भाग लिया

मानेकशॉ ने 40 वर्षों तक सेना की सेवा की और 5 युद्धों में भाग लिया- द्वितीय विश्व युद्ध, 1947 का भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1962 का चीन-भारतीय युद्ध, 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध।

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