सीतापुर की जेल में 27 महीनों तक बंद रहने के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)के वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता आजम खान (Azam Khan) बाहर आ चुके हैं लेकिन पार्टी से उनकी दूरी चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जा रहा है कि वह अखिलेश यादव (Akhilesh yadav)से नाराज चल रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह जेल में अखिलेश का आजम (Azam Khan) से मुलाकात न करना बताया जा रहा है। जेल से ही रामपुर सीट का विधानसभा चुनाव जीतने वाले आजम को लगता है कि पार्टी ने उनकी रिहाई के लिए उतना प्रयास या जोर नहीं लगाया जितना उसे करना चाहिए था। शिवपाल सिंह यादव के साथ आजम खान की मुलाकात से भी सियासी अटकलें लगने शुरू हुई हैं। जेल से बाहर आने के बाद आजम अभी अखिलेश से नहीं मिले हैं और न ही पार्टी की बैठकों में वह अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान के साथ शामिल हुए हैं। अब्दुल्ला रामपुर की स्वार सीट से विधायक चुने गए हैं।
आजम खान को खोना नहीं चाहेगी सपा
जाहिर है कि समाजवादी पार्टी से आजम खान (Azam Khan) की दूरी पार्टी को आने वाले समय में नुकसान पहुंचा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सपा शिवपाल से ज्यादा आजम खान को लेकर चिंतित है। वह आजम खान को नहीं खोना चाहती। इसलिए उसने अभी से उन्हें मनाने के प्रयास करने शुरू कर दिए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक सपा आजम को मनाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) को सौंप सकती है। कांग्रेस (Congress) नेता सिब्बल का राज्यसभा के कार्यकाल की अवधि समाप्त हो गई है। बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में आजम की पैरवी के लिए सपा ने ही सिब्बल को तैयार किया। सिब्बल की पैरवी के बाद आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली।
आजम के मानने पर सिब्बल को मिलेगा इनाम?
सूत्रों का कहना है कि सिब्बल यदि आजम (Azam Khan) को मनाने में सफल हो जाते हैं, तो पार्टी उन्हें राज्यसभा (Rajya Sabha) भेज सकती है। आजम अगर मान जाते हैं तो सपा दोहरे लाभ में होगी। एक तो आजम पार्टी से पूरी तरह से जुड़ जाएंगे दूसरा सिब्बल के रूप में उसे उच्च सदन के लिए एक मजबूत आवाज मिलेगी। सिब्बल अपनी बात को तथ्यों के साथ जोर-शोर से रखने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए सपा सिब्बल में फायदे का सौदा देख रही है। राज्यसभा की 11 सीटों पर जून में इस बार चुनाव होना है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर देखा जाए तो इन 11 सीटों में से भाजपा 7 और समाजवादी पार्टी 3 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है।
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सिब्बल को कांग्रेस ने नहीं दी जिम्मेदारी
सूत्रों की मानें तो सपा सिब्बल के अलावा डिंपल यादव और जावेद अली खान को उच्च सदन भेज सकती है। कपिल सिब्बल की इन दिनों कांग्रेस आलाकमान के साथ बन नहीं रही है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 में वह शामिल हैं। पार्टी के खिलाफ इस समूह की सबसे मुखर आवाज सिब्बल रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व एवं कामकाज को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस की बैठकों में राहुल गांधी के साथ उनकी अनबन की बातें भी सामने आई हैं। सोनिया गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जिन समितियों एवं टास्क फोर्स का गठन किया है उसमें सिब्बल का नाम नहीं है। ऐसे में सिब्बल यदि सपा का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।