नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संकट के बीच जारी लॉकडाउन से एक तबको जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है वो है प्रवासी मजदूरों का जिसके सामने रोजी-रोटी का भारी संकट खड़ा हो गया है, इस वजह से वो अपने गांव-शहरों की ओर पलायन कर रहा है और उसके लिए वो कोई भी रिस्क उठाने को तैयार है। हजारों श्रमिक पैदल ही अपने घरों की ओर निकल गए हैं।
वहीं कांग्रेस पार्टी ने श्रमिकों की समस्या को देखते हुए उनके लिए 1000 बसों का व्यवस्था कराने की बात कही और यूपी सीएम से इसकी परमीशन मांगी, हालांकि उन्हें ये अनुमति मिल गई लेकिन बसों की लिस्ट को लेकर भाजपा और सरकार ने सवाल उठा दिए, इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू जारी है।
इस मामले पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर हमला बोला, पात्रा ने कहा कि प्रियंका ने यूपी सरकार को कथित रूप से जो बसों की सूची सौंपी है उसमें काफी गाड़ियां 'अनफिट' हैं। इनमें एंबुलेंस, कार, ट्रैक्टर और स्कूटर के नंबर भी दिए गए हैं।
वहीं अब प्रियंका के निजी सचिव ने संदीप सिंह ने यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह को लेटर लिखकर कहा है कि हम तो 19 मई की सुबह से नोएडा और गाजियाबाद की सीमा पर खड़े हैं मगर आपकी तरफ से को रिस्पॉंस नहीं मिला है, हम आज यानि 20 मई की शाम तक यहीं हैं।
संदीप सिंह और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पर FIR
वहीं प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर एफआईआर हो गई है, यूपी सरकार को बसों की सूची भेजने के मामले में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए संदीप सिंह और अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की है।
यूपी सरकार का आरोप है कि बसों की लिस्ट में ऑटो, एंबुलेंस, बाइक के नंबर मिले थे, कुछ बसों के नंबर की पुष्टि ही नहीं हो पाई थी वहीं कुछ बसों के नंबर चोरी के वाहन की होने की आशंका भी जाहिर की जा चुकी है।
"79 बसें ऐसी थी जो सिर्फ हादसों को दावत देती हैं"
भाजपा का आरोप है कि एक तरफ कोरोना महामारी के दौरान मजबूर मजदूर दो वक्त की रोटी और अपने घर पहुंचने की आस में रो रहा है। तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी उन मजदूरों की मदद करने के बजाय अपनी राजनीति चमकाने में लगी हैं। इस कठिन संकट के समय में भी प्रियंका गांधी वाड्रा सियासत करने से बाज नहीं आ रही है।
इस बारे में भाजपा प्रवक्ता चंद्रमोहन का कहना है कि 'प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिन बसों की सूची उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी थी उनमें 79 बसें ऐसी थी जो सिर्फ हादसों को दावत देती। दावत इसलिए क्योंकि वो बसे पूरी तरह कंडम हो चुकी थी। जो कभी भी किसी भी हादसे का गवाह बन जाती। कांग्रेस पार्टी की 297 बसें या तो कंडम हो चुकी थी या फिर जिनका फिटनेस और बीमा समाप्त हो चुका था। मजे की बात तो यह है कि 100 बसों की डिटेल जब खंगाली गई तो उनमे एंबुलेंस, ट्रक, डीसीएम, थ्री व्हीलर ऑटो जैसे वाहन शामिल थे। यानि उनकी गिनती बसों में होती नहीं हैं। और तो और 70 बसों के बारे में सरकारी रिकॉर्ड ही नहीं है।'
भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस पार्टी को मजदूरों की जिंदगी से प्यार नहीं है। सवाल ये भी है कि क्या इस तरह का भद्दा मजाक करके कांग्रेस पार्टी खुद को क्या साबित करना चाहती है और सवाल ये भी है कि अगर बसों को भेजने का इतना ही मन था तो उत्तर प्रदेश से पहले इन बसों को मुंबई भेज देती जहां मजदूरों पर लाठी चार्ज करने जैसी तस्वीरे नजर आ रही थी।