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किसान आंदोलन फिलहाल स्थगित, एसकेएम ने किसानों पर सभी केस की वापसी की मांग की

Updated Dec 08, 2021 | 11:38 IST

किसान आंदोलन की दशा और दिशा पर पर एसकेएम ने पांच सदस्यों की बैठक खत्म हो गई है। एसकेएम ने कहा कि सरकार पहले सभी किसानों पर से केस वापस ले।

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किसान आंदोलन फिलहाल स्थगित, एसकेएम ने किसानों पर सभी केस की वापसी की मांग की
मुख्य बातें
  • एसकेएम के पांच सदस्यों की बैठक संपन्न, किसानों पर से सभी केस वापस ले सरकार
  • एसकेएम ने सरकार से बातचीत के लिए पांच सदस्यों की कमेटी बनाई है
  • औपचारिक तौर पर सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है।

क्या किसान आंदोलन की वापसी का ऐलान आज होगा। इस सवाल पर हर किसी की निगाह है। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को बैठक हुई थी हालांकि उस दिन कोई खास फैसला नहीं हुआ। एसकेएम ने आंदोलन की दशा और दिशा पर चर्चा या फैसले पर तय समय से पहले एसकेएम के पांच सदस्यों की बैठक खत्म हो गई है।

किसान आंदोलन फिलहाल स्थगित- गुरनाम सिंह चढूनी
पांच सदस्यों में से एक गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन फिलहाल स्थगित हैं। उनकी मांग है कि जिस तरह से पंजाब सरकार ने फैसले किए हैं वैसे ही हरियाणा सरकार करे। उन्होंने कहा कि वो किसानों पर से सभी तरह के मुकदमों की पहले वापसी की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार अपने वादे से मुकर गई तो वो लोग क्या करेंगे।

बता दें कि कृषि कानूनों को जब औपचारिक तौर पर वापस ले लिया गया तो एसकेएम की तरफ से कहा गया कि सरकार के फैसले का वो स्वागत करते हैं लेकिन कुछ ऐसे विषय हैं जिस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। बताया जाता है कि इसी कड़ी में गृहमंत्री और किसान संगठनों से जुड़े कुछ नेताओं से टेलीफोन पर बातचीत हुई थी और उसके बाद एसकेएम ने पांच नामों का ऐलान किया जो सरकार से वार्ता करेंगे।

अंतिम सुलह पर फंसा है पेंच

  1. पहले प्रस्ताव में सरकार ने कहा है कि 'MSP पर प्रधान मंत्री जी ने स्‍वयं और बाद में कृषि मंत्री जी ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे।लेकिन इस पर किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP की कमेटी में उन नेताओं को शामिल न किया जाए जो तीन कृषि कानूनों के समर्थन में थे, एमएसपी के मुद्दे पर सिर्फ़ संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों से ही बात की जाए।  
  2. दूसरा सरकार में किसानों पर दर्ज मुकदमे पर प्रस्ताव दिया है कि पहले आंदोलन वापस हो फिर मुकदमे खत्म होंगे। किसान कह रहे हैं कि पहले मुक़दमे रद्द हों फिर आंदोलन वापस होगा।
  3.  किसान कह रहे हैं कि यूपी और हरियाणा की सरकार सैद्धांतिक तौर पर मुआवज़ा देने को तैयार तो है लेकिन सरकार शहीद किसानों को मुआवजा पंजाब सरकार के मॉडल पर दे।

लोगों ने किसान संगठनों से बॉर्डर छोड़ने की अपील की थी
यहां यह समझना भी जरूरी है कि सरकार के फैसले के बाद तीनों बॉर्डर पर रहने वाले लोगों ने भी धरना प्रदर्शन करते हुए किसानों से बार्डर छोड़ने की अपील की थी। खासतौर से गाजीपुर बार्डडर पर इंदिरापुरम इलाके में रहने वाले लोगों ने मार्च भी किया था।

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