यूपी चुनाव से ठीक पहले मथुरा को लेकर नई महाभारत छिड़ गई है। पिछले तीन-चार दिनों से मथुरा को लेकर खबर मिल रही थी। आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट से मामले ने तूल पकड़ लिया। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पहले आप जानें की मथुरा में हुआ क्या है? सिक्वेंस ऑफ इवेंट को समझें:
मथुरा में क्या हुआ?
- 29 नवंबर- श्रीकृष्ण जन्म भूमि मुक्ति दल के प्रमुख राजेश मणि त्रिपाठी ने संकल्प यात्रा के लिए जिला प्रशासन से अनुमति मांगी
- 6 दिसंबर को पदयात्रा निकालकर जलाभिषेक करना
- 30 नवंबर - जिला प्रशासन ने अनुमति देने से साफ मना किया
- सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा फैलाकर लोगों को यात्रा में शामिल होने को कहा गया
- पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की, मथुरा में फ्लैग मार्च निकाला गया
- मथुरा में धारा 144 लागू की गई
मथुरा में फोर्स का मूवमेंट है। गलियों में कई जगह फ्लैग मार्च जैसी तस्वीर हैं। दावा है कि सिक्योरिटी चाक-चौबंद है। CRPF के अधिकारियों की तरफ से भी कुछ सिक्योरिटी कंसर्न उठाए गए थे, उसे भी दुरुस्त करने की पूरी कोशिश हो रही है, क्योंकि 6 दिसंबर भी आ रहा है। मथुरा पर आज यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने ट्वीट किया कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है। इस पर अखिलेश यादव आरोप लगा रहे हैं कि जिनके पास मुद्दा नहीं वो मुथरा-काशी कर रहे हैं। सवाल बीजेपी पर तो है लेकिन अखिलेश पर भी तो है कि वो विकास की पिच पर क्यों नहीं इलेक्शन कैंपेन करना चाहते। यूपी चुनाव में जिन्ना को कौन लाया? चिलमजीवी जैसे शब्द किसने कहे? परिवारवाद के नाम पर पर्सनल अटैक कौन कर रहा? इसलिए तलवारें दोनों तरफ से खींची जा रही है, इसमें नया बैटल ग्राउंड मथुरा हो गया।
अब सवाल ये है:
- यूपी चुनाव में अयोध्या-काशी के बाद मथुरा की बारी..क्या मतलब है?
- पहले जिन्ना,फिर परिवार..के बाद अब मथुरा मुद्दा बनेगा?
- यूपी की लड़ाई में विकास का मुद्दा कहां गया?