लाइव टीवी

'कपड़े के ऊपर से वक्षस्थल छूना यौन अपराध नहीं', बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाई रोक

SC stays Bombay high Court 's skin to skin order under pocso act
Updated Jan 27, 2021 | 14:55 IST

नागपुर की एक निचली अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 354 (महिला का शीलभंग करने के इरादे से हमला) एवं पॉक्सो एक्ट की धारा आठ के तहत तीन साल की सजा सुनाई थी।

Loading ...
SC stays Bombay high Court 's skin to skin order under pocso actSC stays Bombay high Court 's skin to skin order under pocso act
तस्वीर साभार:&nbspPTI
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाई रोक।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि 'स्किन टू स्किन कंटेक्ट' के बिना नाबालिग के वक्षस्थल को छूना यौन हमले के तौर पर नहीं लिया जा सकता। शीर्ष अदालत ने आरोपी को रिहाई का आदेश निरस्त कर दिया है। नाबालिक लड़की के साथ छेड़खानी का यह मामला फरवरी 2020 का है। नागपुर के 39 साल के व्यक्ति पर नाबालिग का वक्षस्थल छूने का आरोप है। नागपुर बेंच के इस फैसले पर देश भर में प्रतिक्रिया देखने को मिली। कोर्ट के इस फैसले पर लोगों ने हैरानी जताई। अब सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने मामले में आरोपी व्यक्ति को नोटिस जारी कर उसे दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

निचली अदालत ने आरोपी को सुनाई थी तीन साल की सजा
नागपुर की एक निचली अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 354 (महिला का शीलभंग करने के इरादे से हमला) एवं पॉक्सो एक्ट की धारा आठ के तहत तीन साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ आरोपी ने नागपुर बेंच के सामने अपील की थी। इस अपील पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में यह कहते हुए उसे रिहा कर दिया कि 'इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से कोई शारीरिक संबंध और सेक्स के इरादे से स्किन टू स्किन संपर्क नहीं बना। ऐसे में पॉक्सो एक्ट के तहत यह यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता।'

HC ने कहा-यौन उत्पीड़न के लिए 'स्किन टू स्किन संपर्क' जरूरी
न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, आरोपी नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर आरोपी ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की।

कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो से बरी किया
धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन वर्ष कारावास है। सत्र अदालत ने पोक्सो कानून और भादंसं की धारा 354 के तहत उसे तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। दोनों सजाएं साथ-साथ चलनी थीं। बहरहाल, उच्च न्यायालय ने उसे पॉक्सो कानून के तहत अपराध से बरी कर दिया और भादंसं की धारा 354 के तहत उसकी सजा बरकरार रखी।

हाई कोर्ट के इस फैसले पर लोगो ने हैरानी जताई
बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर की पीठ के इस फैसले पर देश भर में लोगों ने हैरानी जताई। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कहा कि वह उच्च न्यायालय के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपने एक ट्वीट में कहा कि इस फैसले से न सिर्फ महिला सुरक्षा से जुड़े विभिन्न प्रावधानों पर विपरीत असर होगा, बल्कि सभी महिलाओं को उपहास का विषय बनाएगा। रेखा शर्मा ने कहा कि आयोग इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।