- हाल के दिनों में पूर्वी लद्दाख के समीप चीन के लड़ाकू विमान उड़ान भरते देख गए हैं
- भारत-चीन के बीच सहमति है कि वे एलएसी के 10 किमी के दायरे में फाइटर जेट्स नहीं भेजेंगे
- चीन के इस खतरे का जवाब देने के लिए सेना ने एस-400 के दूसरे स्क्वॉड्रन की तैनाती करेगी
S-400 squadron : चीन से लगने वाली अपनी सीमा एवं सरहद की सुरक्षा भारत लगातार मजबूत कर रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की पैंतरेबाजी एवं नापाक चाल पर उसकी नजर है। एलएसी के पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लड़ाकू विमानों की गतिविधियों को देखते हुए भारतीय सेना ने आने वाले दिनों में एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 के नए स्क्वॉड्रन की तैनाती उत्तरी सीमा पर करने का फैसला किया है। इसकी तैनाती के साथ ही चीन की तरफ से आने वाले फाइटर जेट्स, मिसाइल और ड्रोन की जानकारी भारतीय सेना को पहले हो जाएगी। दुनिया की बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम में शामिल एस-400 की तैनाती अगले दो से तीन महीनों में हो जाएगी।
पूर्वी लद्दाख के पास देखे गए चीन के लड़ाकू विमान
टीओई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि एस-400 के दूसरे स्क्वॉड्रन की आपूर्ति रूस से होनी शुरू हो गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद डिफेंस सिस्टम की यह पहली खेप होगी। एस-400 की आपूर्ति ऐसे समय हो रही है जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के समीप अपनी वायु सेना की गतिविधियां बढ़ाई हैं। हाल के दिनों में चीन के फाइटर जेट्स एलएसी के करीब उड़ान भरते देखे गए हैं जो कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के उपाय नो-फ्लाई जोन का उल्लंघन है। विश्वास बहाली के उपायों के तहत दोनों देशों के बीच इस बात कि सहमति है कि वे एलएसी के 10 किलोमीटर के दायरे में अपने लड़ाकू विमान नहीं भेजेंगे।
पहली खेप की तैनाती हो चुकी है
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रूस से आए एस-400 की पहली खेप की तैनाती पहले उत्तर पश्चिमी सीमा पर हो चुकी है। यहां तैनात हुए डिफेंस सिस्टम से चीन और पाकिस्तान दोनों के खतरों से निपटा जाएगा। एस-400 का पहला स्क्वॉड्रन गत दिसंबर में रूस से भारत पहुंचा।
रूस से सिमुलेटर और अन्य उपकरण मिले
गत अप्रैल में भारत को मॉस्को से S-400 ट्रेनिंग स्क्वाड्रन के लिए सिमुलेटर और अन्य उपकरण मिले। रक्षा सूत्रों ने एएनआई को बताया कि मिसाइल सिस्टम का दूसरा स्क्वाड्रन एक ट्रेनिंग स्क्वाड्रन है और इसमें सिमुलेटर और अन्य प्रशिक्षण से संबंधित उपकरण शामिल हैं। इसमें मिसाइल या लांचर शामिल नहीं हैं।
अमेरिका नहीं चाहता रूस की एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदे भारत
रूस के साथ साल 2018 में हुआ करार
बता दें कि भारत ने रूस की एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ करार किया है। अक्टूबर 2018 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस डील पर हस्ताक्षर हुए। इस सौदे की कीमत पांच अरब डॉलर बताई जाती है। एस-400 को दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। प्रतिष्ठित पत्रिका इकॉनमिस्ट इसे दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली मानती है। रूस ने इस रक्षा प्रणाली को अपने कई शहरों, युद्धपोतों और सीरिया में तैनात किया है। साथ ही उसने इसे चीन और तुर्की को भी बेचा है।