- सेप्सीवैक पर पीजीआई चंडीगढ़ में क्लीनिकल ट्रायल जारी
- शुरुआती नतीजे रहे सकारात्मक, कामयाब होने पर वैक्सीन के साथ साथ दवा के तौर पर भी हो सकता है इस्तेमाल
- दुनिया के अलग अलग देशों में वैक्सीन पर शोध जारी, चेडॉक्स 1 सबसे आगे
नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 31 हजार के पार जा चुकी है। इस वायरस का सामना करने के लिए अभी तक किसी वैक्सीन का ईजाद नहीं हुआ है। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के कुछ सकारात्मक नतीजे आए हैं, दिल्ली में पांच और महाराष्ट्र में एक मरीज के साथ साथ यूपी में भी एक मरीज ठीक हो चुका है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस पर अभी शोध जारी है और इसे फुलप्रूफ इलाज नहीं माना जा सकता है। हालांकि इस तरह की खबरों के बीच पीजीआई चंडीगढ़ से कुछ सकारात्मक जानकारी सामने आई है।
पीजीआई चंडीगढ़ में सेप्सीवैक पर ट्रायल
पीजीआई चंडीगढ़ में ट्रायल प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर डॉ राम विश्वकर्मा का कहना है कि सेप्सीवैक को ड्रग के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। इसका एक परीक्षण उन मरीजों पर किया जा रहा है जिनमें कोरोना का लक्षण नहीं था लेकिन वो संक्रमित हुए थे। इसे उन मरीजों को वैक्सीन के तौर पर दिया जाएगा।
अभी तक सकारात्मक नतीजे
डॉ राम विश्वकर्मा कहते हैं कि कोविड 19 का वायरस एक महीने तक मरीज के शरीर में रह सकता है इसलिए उन मरीजों पर तीसरा ट्रायल भी किया जा रहा है जो अब स्वस्थ हो चुके हैं या क्वारंटीन से बाहर हैं। इसे वैक्सीन के तौर पर दिया जा रहा है ताकि वायरस दोबारा आक्रमण न कर सके। सेप्सीवैक की खासियत यह है कि इसे वैक्सीन के साथ साथ कोरोना संक्रमित लोगों के लिए दवा के तौर पर भी इस्तेमाल होगा।
दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी शोध जारी
वो बताते हैं कि अगर क्लीनिकल ट्रायल कामयाब रहा तो इससे बड़ी संख्या में जानें बचाई जा सकेंगी। अगर हम और सकारात्मक नतीजे पाने में कामयाब हुए तो अगले तीन महीने में कोविड 19 का इलाज उपलब्ध होगा। लेकिन हमें दूसरी दवाओं की भी जरूरत होगी। बता दें कि दुनिया के दूसरे मुल्कों में अलग अलग नामों से कोविड 19 की वैक्सीन पर शोध जारी है।