- शरद पवार ने कहा कि अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है, उन पर कार्रवाई होगी
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी के 3 विधायक भी शामिल हुए, जिन्होंने बताया कि अजित उन्हें बिना कुछ बताए राजभवन ले गए थे
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह धोखा है और महाराष्ट्र चुप नहीं रहेगा
मुंबई : महाराष्ट्र में बड़े सियासी उलटफेर के बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। इस दौरान शरद पवार ने एक बार फिर शिवसेना के लिए समर्थन दोहराया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवार ने एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की सदस्य संख्या का एक बार फिर जिक्र करते हुए कहा कि शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों के साथ उनके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत था और उन्हें कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त था, जिसके साथ ही यह संख्या करीब 170 पहुंच जाती है।
उन्होंने कहा कि अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ और राजनीतिक अनुशासनहीनता है और उनके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि एनसीपी के किसी नेता या कार्यकर्ता का समर्थन एनसीपी-बीजेपी सरकार को प्राप्त नहीं है। अजित पवार के साथ जाने वाले पार्टी विधायकों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें जानना चाहिए कि इस देश में एंटी-डिफेक्शन लॉ है और वे विधानसभा की सदस्यता खो सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हालांकि फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया है, लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे और अंतत: शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा, 'हमारे पास नंबर हैं और हम सरकार बनाएंगे।'
इस दौरान एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगाने ने कहा कि अजित पवार ने उन्हें सुबह करीब 6:30 बजे फोन कर कुछ चर्चा के लिए बुलाया था, जिसके बाद वह कुछ विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे। लेकिन वे कुछ समझ पाते कि इससे पहले ही शपथ-ग्रहण हो गया। उन्होंने कहा, 'मैं शरद पवार साहब के पास पहुंचा और उन्हें बताया कि हम उनके और एनसीपी के साथ हैं।' एनसीपी विधायकों संदीप क्षीरसागर और सुनील भुसारा ने भी कहा कि उन्हें बिना कुछ बताए राजभवन ले जाया गया था।
शरद पवार अगर कह रहे हैं कि अजित पवार ने बीजेपी के साथ जाने के लिए उनसे चर्चा नहीं की और पार्टी में भी इस पर कोई बात नहीं हुई तो आखिर एनसीपी के सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र कैसे पहुंचा, इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए एनसीपी प्रमुख ने कहा, 'लगभग सभी दलों के पास उनके विधायकों की लिस्ट होती है, जिसमें उनके हस्ताक्षर होते हैं। एनसीपी के विधायकों की ऐसी ही लिस्ट अजित पवार के पास थी, क्योंकि वह विधायक दल के नेता हैं।' उन्होंने अनुमान जताया कि अजित पवार ने यही लिस्ट राज्यपाल को सौंपी। उन्होंने इस बारे में राज्यपाल से भी बात करने की बात कही। उन्होंने कहा कि शाम 4 बजे पार्टी विधायकों की बैठक होगी, जिसमें विधायक दल के नए नेता को चुना जाएगा।
ऐसी चर्चाओं के बीच कि अजित पवार ने बीजेपी के साथ संभवत: इसलिए हाथ मिलाया, क्योंकि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं, शरद पवार ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि उसे ऐसा जांच एजेंसियों के डर से किया या नहीं। मेरे सूत्रों के अनुसार, पार्टी के 10-12 विधायक राजभवन गए थे, जिनमें से तीन यहां मेरे साथ बैठे हैं।'
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने कहा, 'पहले ईवीएम का खेल होता था और अब ये नया खेल है। इन सबके बाद मुझे नहीं लगता कि चुनाव की जरूरत भी रह जाती है। हर कोई जानता है कि जब छत्रपति महाराज को धोखा मिला और पीछे से उन पर वार हुआ तो उन्होंने क्या किया।' उद्धव ने यह भी कहा कि बीजेपी को शिवसेना विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने दीजिये, महाराष्ट्र चुपचाप नहीं रहेगा।
इससे पहले तीनों पार्टियों के नेता संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए वाईबी चव्हाण सेंटर पहुंचे। यहां एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने आगे बढ़कर उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे की अगवानी की। उन्होंने आदित्य को गले भी लगाया। इस दौरान वाईबी सेंटर के बाहर मौजूद भीड़ ने शरद पवार के पक्ष में और अजित पवार के खिलाफ नारेबाजी भी की।