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किसान आंदोलन पर बोले शिवराज सिंह चौहान, किसान संगठन भी खुले मन से करें बात

Updated Dec 12, 2020 | 22:43 IST

Times Now के फ्रैंकली स्पीकिंग कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों से जुड़े सवालों पर बेबाकी से जवाब दिया।

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फ्रैंकली स्पीकिंग कार्यक्रम में एमपी के सीएम शिवराज सिंह की किसान आंदोलन पर राय
मुख्य बातें
  • किसान संगठनों को भी केंद्र सरकार से खुले मन से बातचीत करें, शिवराज सिंह चौहान का बयान
  • अगर देश के दूसरे किसान कानून के पक्ष में उठ खड़े हुए तो, उनके बारे में भी सोचने की जरूरत है
  • आमने सामने की लड़ाई में जो लोग मोदी जी का मुकाबला नहीं कर सके अब हथकंडों का कर रहे हैं इस्तेमाल

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठन लामबंद हैं और दिल्ली से लगी सीमा पर डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि सरकार संसोधन की जगह कानून को रद्द करे। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि कानून में अगर कोई खामी है तो उसे बदलने के लिए तैयार है। कोई भी कानून पूरी तरह खराब नहीं होता है। इन सभी विषयों पर ग्रुप एडिटर-पॉलिटिक्स नविका कुमार मे फ्रैंकली स्पीकिंग कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से तीखे सवाल किये। 

किसानों का ऐतराज हो सकता है जायज लेकिन बातचीत जरूरी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि उनके राज्य में 80 लाख किसान हैं। वे सभी फार्म कानूनों के पक्ष में हैं। लेकिन अगर कुछ समूह कानूनों के बारे में बात करना चाहते हैं, तो कोई समस्या नहीं है। यह है कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। कानून लागू करने से पहले किसानों के साथ कोई परामर्श नहीं था, यह कथन गलत है। पर्याप्त परामर्श था। सरकार सिर्फ किसानों को वैकल्पिक व्यवस्था दे रही है

अधिकांश किसान नए कानून के पक्ष में
अधिकांश किसान नए लागू किए गए फार्म कानूनों के पक्ष में हैं। कुछ समूह हैं, जो इन कानूनों से नाराज हैं, और सरकार उनकी शंकाओं को सुलझाने का काम कर रही है। राहुल गांधी के आरोपों पर कहा कि जिस शख्स को यह नहीं पता कि प्याज जमीन के अंदर उगती है या बाहर उसके बयानों पर क्या जवाब देना। हकीकत यह है कि जो लोग मैदान में मोदी जी का मुकाबला नहीं कर सके वो लोग अब हथकंडों के जरिए सरकार पर निशाना साध रहे हैं।



बातचीत ही सिर्फ रास्ता

शिवराज सिंह ने कहा कि फर्ज करिए कि अगर किसानों का एक बड़ा धड़ा कल को कृषि कानूनों के समर्थन में उठ खड़ा हो तब क्या होगा। इसलिए बेहतर यही है कि जिन किसान भाइयों को लगता है कि कानून में किसी बिंदू पर बदलाव होना चाहिए तो वो तथ्यों के साथ अपनी बात रख सकते हैं। शिवराज सिंह कहते हैं कि जिस तरह से आंदोलन के बारे में खबरें और तस्वीरें सामने आ रहीं हैं उससे क्या मतलब निकाला जाए। किसान संगठनों को भी संजीदगी से इस विषय पर सोचने की आवश्यकता है। 

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