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पिज्जा, बर्गर छोड़ें, जब अपनी बिरयानी है तो चिकन मंचूरियन क्यों  : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

Updated Aug 24, 2021 | 18:14 IST

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए ‘जंकफूड’ को छोड़ने एवं पारंपरिक भारतीय खान-पान का पालन करने की अपील की।

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 उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

बेंगलुरु:  उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को लोगों से अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए ‘जंकफूड’ को छोड़ने एवं पारंपरिक भारतीय खान-पान का पालन करने की अपील की। नायडू ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि जंक फूड को छोड़िए। पारंपरिक, स्थानीय खान-पान कीजिए। हमारे पुरखों ने हमें खाने-पीने की इतनी अच्छी चीजें सुझायी हैं, अपनायी हैं, उन्हें बढ़ावा दिया है और हमें दी हैं। मैं कर्नाटक में हूं और मुझे आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि यहां खान-पान की कितनी विविधता है। उनमें से कुछ तो आज की तारीख में दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गयी हैं।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि हम पिज्जा और बर्गर जैसे ‘जंकफूड’ के पीछे क्यों भागें जब हमारे पास अपना पारंपरिक खान-पान है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि  वे (जंकफूड) कुछ खास देशों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं लेकिन वे भारतीय स्थिति के लिए उपयुक्त नहीं हैं। दुर्भाग्यवश हम पश्चिम और पश्चिमीकरण को अपनाने लगे, हमारे कुछ बच्चों में यह कमजोरी पैदा हो गयी है।

उन्होंने कहा कि कंपनियों द्वारा ब्रांडिंग और विपणन किए जाने से ‘जंकफूड लोकप्रिय हो गये हैं। नायडू ने कहा, ‘‘ चिकन मंचूरियन... जब हमारे पास अपनी बिरयानी है तो मंचूरियन क्यों...? इन दिनों बच्चे चिकन 65 ढूंढ़ते हैं, जबकि हमारे पास कर्नाटक रागी मुद्दे (रागी बॉल) और नाटू कोडि पुलुसू (देशी चिकन करी) है, शानदार है, उसका मजा लीजिए, किसी और के पीछे क्यों भागना?’उन्होंने कहा कि कृपया अपनी सेहत के लिए भारतीय खान-पान, पारंपरिक खान-पान, ऑर्गेनिक खान-पान का पालन कीजिए, क्योंकि सेहत तो सेहत है।

उपराष्ट्रपति कर्नाटक के योजना विभाग एवं ‘गिव इंडिया फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित ‘भारत का टीकाकरण’ विषय से संबंधित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत एवं मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से कहना चाहूंगा कि यह (कोविड) अभी गया नहीं है, इसलिए लापरवाही मत कीजिए। सभी को अधिक सावधान रहना है क्योंकि तीसरी लहर का जोखिम है। हमें सतर्क रहना है और भारत सरकार, राज्य एवं चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर जारी नियमों का पालन करना है।
 

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