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बंगाल के सियासी रंगमंच में 'जय श्री राम' के नारे, क्या बीजेपी के चक्रव्यूह में उलझती जा रही हैं ममता?

Updated Jan 24, 2021 | 13:03 IST

शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जब ममता बनर्जी मंच के माइक तक पहुंची तो वैसे ही वहां उपस्थित कुछ लोगों ने जय श्री राम का नारा लगा दिया।

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जय श्री राम: क्या BJP के चक्रव्यूह में उलछती जा रही हैं ममता
मुख्य बातें
  • पश्चिम बंगाल में इसी साल होने हैं विधानसभा चुनाव, जुबानी जंग हुई तेज
  • पीएम की उपस्थिति वाले एक कार्यक्रम में मंच पहुंची ममता तो लोगों ने लगा दिए जय श्रीराम के नारे
  • नारे लगते ही ममता भड़क गई, बोली- ये राजनीतिक मंच नहीं है भी ऐसे नारे लगाए जा रहे हैं

कोलकाता: पश्चिम बंगाल का सियासी रंगमंच तैयार है और इस पर प्रस्तुति देने के लिए राजनीति के कलाकार तैयार हैं। कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से जिस तरह की बयानबाजी औऱ प्रचार हो रहा है उससे सबकी नजरें बंगाल पर टिक गई हैं। इस बार बंगाल का चुनाव पहले की तरह आम चुनाव नहीं है और इसकी झलक समय-समय पर देखने को मिल रही है। शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कुछ ऐसा हुआ जिससे एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है।


क्या हुआ था शनिवार को
दरअसल शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 जंयती थी और इसके लिए सरकार ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कार्यक्रम आयोजित किया और पीएम मोदी की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में राज्य की सीएम ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया था। इसके बाद जब मंच पर ममता को को भाषण देने के लिए बुलाया गया तो वैसे ही वहां उपस्थित भीड़ में से किसी ने जय श्रीराम के नारे लगा दिए इस पर ममता बनर्जी भड़क उठीं। उन्हें लगा कि यह नारे उन्हें चिढ़ाने के लिए लगे हैं। 

ममता का आरोप
मुख्यमंत्री ममता ने सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक रूप देने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी को आमंत्रित कर अपमान करना ठीक नहीं है। उन्होंने कार्यक्रम की गरिमा का भी हवाला दिया। इसके बाद ममता बनर्जी ने नेताजी जयंती समारोह में बोलने से इन्कार कर दिया। बस फिर क्या था बीजेपी को ममता पर हमला बोलने का मौका मिल गया। समय गंवाए बिना भाजपा ने जय श्रीराम के नारों पर ममता बनर्जी के भड़क उठने को अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से जोड़ा है। भाजपा का कहना है कि राज्य के मुस्लिमों को खुश करने के लिए जयश्री राम के नारों को ममता बनर्जी अपमान मानती हैं।

पहले भी श्रीराम के नारों पर गुस्सा हुईं थी ममता
यह पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी इस तरह जय श्रीराम के नारे पर गुस्सा हुई हों, वह पहले भी जय श्रीराम के नारों पर गुस्सा करने के कारण सुर्खियों में रही थी। मई 2019 में उत्तरी 24 परगना जिले के भाटपारा से काफिले के गुजरने के दौरान कुछ लोगों के नारा लगाने पर भी ममता बनर्जी भड़क उठीं थीं। तब उन्होंने गाली देने का आरोप लगाते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार करा दिया था इसे लेकर ममता की काफी किरकिरी भी हुई थी और बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए उन्हें घेरा था।

नारे और पॉलिटिक्स
वैसे तो राजनीति में नारों का बड़ा महत्व होता है जिसके जरिए पब्लिक को संदेश दिया जाता है। लेकिन इस बार बंगाल में साफ हो गया है कि जय श्रीराम के नारे पर राजनीति खूब होने वाली है। ममता का इस नारे से गुस्सा होना बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को बंगाल में धार मिल रही है और इससे बीजेपी की राह आसान होने की संभावना है जबकि ममता खुद बीजेपी के जाल में उलछती जा रही हैं।

बीजेपी को मिला मौका

अगर शनिवार को ममता मंच पर गुस्सा होने की बजाय विनम्रता से जयश्रीराम या जयहिंद बोल देती तो शायद इससे उनका ही कद बढ़ता और बीजेपी को हमला करने का भी मौका नहीं मिलता लेकिन अब बीजेपी के पास पूरा मौका है। बीजेपी सीधे-सीधे आरोप लगा रही है कि ममता अल्पसंख्यकों को खुश करने की तुष्टिकरण की नीति अपना रही है और इसलिए उन्हें जयश्रीराम के नारे से परहेज है।

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