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'कोरोना संकट' से उपजे कुछ सवाल जो हर किसी को कर रहे परेशान

Updated Jun 16, 2020 | 17:28 IST

Corona Crisis Raised Many Concerns:पिछले कुछ महीनों से सिर्फ कोरोना वायरस के असर, उसको लेकर छोटी से लेकर बड़ी हर बात पर चर्चा हो रही है, आखिर हो भी क्यों ना ऐसे संकट से मानव जाति का कभी वास्ता भी तो नहीं पड़ा।

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भारतीयों की फितरत है कि वो हर संकट से बखूबी उबरकर बाहर आते हैं
मुख्य बातें
  • स्थितियां पहले की तरह सामान्य नहीं दिखतीं बल्कि इसमें कई बदलाव हैं
  • कोरोना संकट से पहले की दुनिया थी वो तो मानों कहीं खो सी गई है
  • कोरोना के केस बढ़ने से लोगों में अवसाद का खतरा पैदा हो गया है

कोरोना संकट अपने उफान पर है क्या देश क्या विदेश हर कहीं बस कोरोना संकट की ही बात हो रही है, क्या व्यक्ति, क्या परिवार और क्या समाज हर कोई इसके असर को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से महसूस कर रहा है फर्क सिर्फ इतना है कि किसी को ये ज्यादा प्रभावित कर रहा है तो किसी को थोड़ा कम लेकिन अकेले एक आंखों से भी ना दिखने वाले अतिसूक्ष्म वायरस ने दुनिया के अधिकतर हिस्सों में ऐसी उथल-पुथल मचा दी है जो ना कभी पहले देखी गई और ना कभी सुनी गई।

इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में अपने यहां लॉकडाउन किया था और अब ये हट भी चुका है लेकिन स्थितियां पहले की तरह सामान्य नहीं दिखतीं बल्कि इसमें कई बदलाव हैं, रहने सहने का तरीका बदल गया, खाने-पीने का तरीका बदल गया, आने-जाने का तरीका बदल गया यानि वो जो कोरोना संकट से पहले की दुनिया थी वो तो मानों कहीं खो सी गई है। जिन जगहों पर बेहद भीड़ हुआ करती थी वो अब खाली-खाली हैं वहां कोई जाने वाला नहीं है।

कोरोना वायरस के असर से तकरीबन हर शख्स परेशान

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जो लॉकडाउन लगाया गया उस दौरान लोगों की मनोस्थिति पर भी खासा प्रभाव पड़ा वहीं अब इसके खुलने के बाद भी लोग संशकित हैं, कितनों की नौकरी जा चुकी है, कितने अपनी जड़ों से उखड़ गए कितनों का काम-धंधा पटरी से ऐसा उतरा कि उसके वापस आने की कोई राह नहीं सूझ रही है, लोगों में अकेलापन, खालीपन और संक्रमण के डर के कारण डिप्रेशन घबराहट के हालात हैं जिससे लोग और उनका परिवार परेशान है कई लोग तो इसके खौफ में नींद भी नहीं ले पा रहे हैं।

कोरोना के केस बढ़ने से लोगों में अवसाद का खतरा पैदा हो गया है और इसके मरीज सामने भी आए हैं, शायद यही वजह है कि मेंटल हेल्थ के लिए परामर्श देने का फैसला लिया जा रहा है हालांकि भारत जैसे विशाल देश में ये कितना कारगर होगा ये देखने की बात होगी।

लोगों को अनजाने भय का खतरा लगा रहता है

वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट की मानें तो कई यूनिवर्सिटी के रिसर्च और मेडिकल जर्नल में पहले ही ये सामने आ चुका है कि इस दौरान लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं, भारत में भी ज्यों ज्यों कोरोना संक्रमितों की तादाद और मौत के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है और तमाम लोग कोरोना के डर की वजह से सही से सो भी नहीं पा रहे हैं उन्हें हर वक्त अनजाने भय का खतरा लगा रहता है।

लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं, भारत में तमाम लोग ऐसे हैं, जिनका दिमाग कोरोना वायरस से संक्रमण के बारे में ख्‍याल आते ही अस्थिर हो जाता है और वे काफी देर तक इसके अलावा कोई दूसरी बात सोच ही नहीं पाते हैं वहीं अपने परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंतित रहने वालों की तादाद भी कम नहीं है।

कोरोना को हराने की कूवत भी

हालांकि कहा जाता है भारतीयों की फितरत है कि वो हर संकट से बखूबी उबरकर बाहर आते हैं शायद यही भावना है कि कहा जा रहा है कि योग से डिप्रेशन को घटाएं, तनावमुक्त रहने की कोशिश करें, रिसर्च में भी पाया गया है कि कोरोना संकट के दौरान यदि सही से योग किया जाए तो वह तनाव और डिप्रेशन के लक्षणों को काफी हद तक घटा सकता है वहीं भारतीयों का इम्यून सिस्टम अच्छा है और उनका खानपान ऐसा है जिससे वो कोरोना तो क्या किसी भी बीमारी को हराने की क्षमता रखते हैं और कोरोना संकट से भी सभी उबर कर आयेंगे ऐसा भरोसा दिल का कोई कोना देता है और यही सकारात्मकता है।

मगर सवाल फिर वही कि आखिर यह सब कहां जाकर खत्म होगा और कब लोग अपनी आम जिंदगी अपनी पटरी पर लौटेगी, ये कुछ कहा नहीं जा सकता,ये समाप्त होने में बहुत लंबा समय लगेगा साथ ही ये भी सच है कि  कोरोना वायरस इतनी आसानी से तो पीछा छोड़ने वाला नहीं है।

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