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Hydroxychloroquine को किसी ने बताया गेमचेंजर तो किसी ने संजीवनी बूटी, इस तरह हो रही है भारत की तारीफ

Updated Apr 08, 2020 | 12:42 IST

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन में दुनिया को उम्मीद आ रही है. तो भारत ने भी किसी के भरोसे को तोड़ा नहीं है।

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नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री
मुख्य बातें
  • कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 70 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
  • हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन की अमेरिका और ब्राजील समेत 30 देशों ने भारत से की थी मांग
  • हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल एंटीवायरल दवा के तौर पर किया जा सकता है, आईसीएमआर ने भी दी है सलाह

नई दिल्ली। बंदूक की गोली जान लेती है। लेकिन एक गोली ऐसी भी है जो जान बचाती है। जब पूरी दुनिया कोरोना संकट की वजह से ठहर गई है तो उस छोटी सी गोली में आशा और विश्वास की किरणें नजर आ रही हैं जिसे हम हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन के नाम से जानते हैं। वैसे तो दवा की यह गोली वर्षों से इस्तेमाल की जाती रही है। लेकिन कोरोना काल में इससे जान बचाने की उम्मीद है। हाल ही में सुपरपावर देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कदर खफा हुए कि वो भारत की धमकी देने पर उतर आए। इसके उलट एक और शख्स है ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो जिन्हें यह गोली संजीवनी बूटी की तरह नजर आ रही है। 

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ब्राजील की नजर में संजीवनी बूटी
ब्राजील ने कोरोना के लिए 'गेमचेंजर' बताई जा रही दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को संजीवनी बूटी करार दिया। राष्‍ट्रपति जैर बोल्‍सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्‍हें दवा के लिए धन्‍यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर भगवान राम के भाई लक्ष्‍मण के प्राण बचाए थे, उसी तरह से भारत की ओर से दी गई इस दवा से लोगों के प्राण बचेंगे। इस महासंकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। 

ट्रंप ने बताया था गेमचेंजर
इससे पहले जब डोनाल्ड ट्रंप को लगने लगा कि शायद भारत की तरफ से यह गेमचेंजर गोली यानि हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन की गोली नहीं मिलेगी तो वो कुछ इस तरह खफा हो गए कि जैसे अमेरिकी टैंक का रुख भारत की तरफ हो जाएगा। लेकिन वो इस बात को भूल चुके थे कि भारत तो वो देश है जो मानवता के लिए सबसे पहले खड़ा होता रहा है। हाइड्राक्सीक्लोरीक्वीन की जरूरत भारत में है तो इसके साथ तीस देशों की भी नजर भारत पर थी। भारत ने किसी को निराश न करते हुए निर्यात में आंशिक ढील दे दी। 

भारत ने अपनी नीति कर दी साफ
जान बचाने की इस दवा के संबंध में भारत ने अपनी नीति भी साफ कर दी। भारत ने कहा कि पहले वो घरेलू जरूरतों को पूरी करेगा, उसके बाद पड़ोसी देशों की मदद करेगा। लेकिव वो उन देशों की भी मदद करेगा जो कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा शिकार हैं तो इशारा साफ था कि अंकल सैम यानि डोनाल्ड ट्रंप को निराश नहीं होना चाहिए। भारत के इस सिग्नल को उन्होंने समझा और भारत की तारीफ करते हुए पीएम मोदी को महान तक बता डाला। 

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