- सोनिया गांधी ने चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर दुख जताया है
- उन्होंने कहा- देश की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हम सब साथ खड़े हैं
- वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है
नयी दिल्ली: चीन की सेना के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने की खबर सामने आई। समाचार एजेंसी एएनआई का कहना है कि इस झड़प में कम से कम 20 भारतीय जवान शहीद हुए है, यह संख्या और बढ़ सकती है,इस घटना को लेकर देश में क्रोध और गम का माहौल है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर दुख जताते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हम सब साथ खड़े हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा, 'लद्दाख की गलवान घाटी में हमारी सेना के अधिकारी और जवानों की शहादत पर बहुत दुख और गहरी पीड़ा हुई है। उनके अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान को नमन है। उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।' सोनिया ने कहा, 'देश की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में हम सब साथ खड़े हैं।'
वहीं हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन के सैनिकों ने गलवान घाटी में यथास्थिति का बदलाव करने की कोशिश की। मंत्रालय ने आगे कहा, 'सीमा प्रबंधन की अपने जिम्मेदार रुख को देखते हुए भारत का स्पष्ट रूप से मानना है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय इलाके में होती हैं। हम भी चीन की तरफ से ऐसा ही उम्मीद करते हैं।
इस हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों को भी भारी नुकसान पहुंचा है
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि इस हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। चीन की तरफ 43 सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्ट है। इसके पहले समाचार एजेंसी पीटीआई ने कहा कि गलवान घाटी की हिंसा में कम से कम 10 भारतीय जवान शहीद हुए।
वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है।