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कर्नाटक हलाल विवाद पर सपा सांसद बिफरे...कहा- अब लोग क्या खाएं और क्या नहीं, ये भी बीजेपी तय करेगी? 

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Mar 30, 2022 | 17:49 IST

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद हलाल विवाद तुल पकड़ता जा रहा है। इस समाजवादी पार्टी से सांसद हसन ने कहा है कि हिंदुस्तान में कौन क्या खाएगा। यह बीजेपी क्यों तय करे?

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कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद हलाल विवाद शरू

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद अब नया मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हिंदुओं से हलाल मीट का बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने इसे आर्थिक जिहाद का नाम दिया है। सी टी रवि के इस बयान से कर्नाटक की सियासी माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस, जेडीएस और सपा जैसी पार्टियां बीजेपी नेता के इस फतवा का विरोध कर रही है। 

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी का आरोप है की सालों से चली परंपरा को सांप्रदायिक रंग दे बीजेपी राज्य का माहोल बिगाड़ना चाहती है। समाजवादी पार्टी से सांसद हसन ने कहा है कि हिंदुस्तान में कौन क्या खाएगा। यह बीजेपी क्यों तय करे? शर्म आनी चाहिए। हमने लव जिहाद, बिरयानी जिहाद और अब हलाल जिहाद सुन रहे हैं। मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने का ये तरीका है। हिजाद अच्छाई के लिए भी होता है। एसटी हसन ने कहा कि बीजेपी महंगाई और दूसरे जरूरी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए हलाल मुद्दा उठा रहे हैं।

दरअसल कर्नाटक में मंदिरों के नजदीक मुस्लिम व्यापारियों के सामान बेचने पर प्रतिबंध लगाने के बाद कुछ हिंदू संगठन अब मुस्लिम व्यापारियों से हलाल मीट न खरीदने की अपील कर रहे हैं। अपील में उगाडी त्योहार (हिंदू नव वर्ष) के बाद हलाल मीट का इस्तेमाल न करने को कहा जा रहा है। इन हिंदू संगठनों का कहना है कि यह मीट हिंदू देवता को नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। उगाडी त्योहार के अगले दिन एक परंपरा के तहत हिंदू देवी-देवता को मांस चढ़ाया जाता है। यह परंपरा मैसूर, रामनगर और मांड्या जिलों में मनाई जाती है। कई हिंदू परिवार प्रसाद के रूप में इस दिन मीट का सेवन करते हैं।

हिंदू जन जागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने आरोप लगाया कि मुस्लिम दुकानों पर मिलने वाला मीट धर्मनिष्ठ नहीं होता है और इसलिए इसे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। गौड़ा ने बताया कि उगाडी के अगले दिन घरों में नॉनवेज पकाया जाता है और उसे देवी-देवता को चढ़ाया जाता है लेकिन मुस्लिम व्यापारी इसे अपने ईश्वर को चढ़ाने के बाद ही बेचते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इसलिए यह हमारे त्योहार के योग्य नहीं है। हमने मुस्लिम व्यापारियों द्वारा बेचे जाने वाले मीट के बहिष्कार फैसला लिया है।

बहरहाल कर्नाटक बीजेपी की तरफ से नई बहस की शुरुआत हुई है जिसका सोच इतनी जल्दी नहीं थमेगा। हलाला मीट के नाम पर जिस तरह से इस पूरे मामले को धार्मिक रंग दिया जा रहा है उसे आने वाले वक्त में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले ध्रुवीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है।

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