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Gyanvapi:सपा प्रवक्ता तारिक लारी बोले-अगर 'ज्ञानवापी मस्जिद' मंदिर का ही हिस्सा है तो इसे मंदिर को सौंपा जाए-VIDEO

मनीष यादव | PRINCIPAL CORRESPONDENT
Updated May 17, 2022 | 20:21 IST

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद दोनो पक्ष अपने अपने दावे कर रहे हैं वजू खाने में मिली आकृति शिवलिंग है या फौव्वारा इसको लेकर बहस छिड़ी हुई हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी में भी अलग अलग रुख देखने को मिल रहे है। 

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सपा प्रवक्ता तारिक अहमद लारी ने ज्ञानवापी सर्वे को लेकर कही ये बात

नई दिल्ली: सपा प्रवक्ता तारिक अहमद लारी सिविल कोर्ट की पूरी कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अतिक्रमण बताते हैं । लेकिन समाजवादी पार्टी की राय से इतर एक मुसलमान के तौर पर लारी का कहना है कि जो मस्जिद विवादित हो वहा नमाज पढ़ना शरीयत के खिलाफ है। इसलिए अगर वो मंदिर है तो उसे मंदिर प्रशासन को सौप देना चाहिए। 

व्यक्तिगत तौर पर वो चाहते हैं कि इस मामले में दिल बड़ा रखना चाहिए । इस मामले में लारी ने सपा के मुस्लिम नेताओ सहित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने भी अपनी राय रखने की बात कही, सपा प्रवक्ता तारिक अहमद लारी ने मुस्लिमो को सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ज्ञानवापी मामले में ये संस्था पहल नहीं करेगी ये तो सिर्फ चंदा बटोरने वाली संस्था है। जो सिर्फ झूठ और फरेब का कारोबार करती है। 

'बीजेपी ने भी सौहार्द के लिए आपसी बातचीत से हल निकालने पर दिया जोर'

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सपा की तरफ से कोई आधिकारिक टिप्पणी अभी तक नही आई हैं। बीजेपी ने भी सौहार्द के लिए आपसी बातचीत से हल निकालने पर दिया जोर। योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलात के मंत्री रहे मोहसिन रजा भी अमन चैन की बात कहते हुए इस मामले में समझौते के हक मैं है।  

'दोनो पक्षों को संयम बरतना चाहिए'

मोहसिन का कहना है कि दोनो पक्षों को संयम बरतना चाहिए कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए । कोर्ट ने सरकार को कानून व्यवस्था का पालन करवाने से लेकर जो जरूरी निर्देश दिए हमने उनका पालन किया है । आपसी बातचीत से बहुत बड़े बड़े मसले हल हो जाते है तो मेरी अपील है इस मामले में भी दोनो पक्षों को बातचीत करनी चाहिए और आपसी सहमति से हल निकले इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

ज्ञानव्यापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ में बीते 1000 सालों का Timeline

सपा का कहना सिविल कोर्ट की कार्यवाही , 1991 के वरशिप एक्ट का उल्लंघन

सपा के ही दूसरे प्रवक्ता अमिक जामई लारी से अलग राय रखते हुए कहते है कि सुप्रीम कोर्ट ने रामलला मामले में जब आदेश दिया था तो अयोध्या को छोड़कर बाकी जगह को लेकर पुराने स्टेटस ही बहाल रहने की बात कही थी । अमीक कहते है 1991 का वरशिप एक्ट कांस्टीट्यूशन के बेसिक स्ट्रक्चर की तरह ट्रीट होना चाहिए । इस कानून को वापस लेने की लोगो की मांग पर अमीक बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहते है बीजेपी खुलकर इस मामले में सामने क्यों नही आती।

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