- अमेरिका से भारत लाई जा रही हैं 157 कलाकृतियां
- हजारों साल पुरानी है कलाकृतियां, भारत से चोरी कर बाहर भेजी गई थी
- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, जर्मनी, कनाडा और इंग्लैंड ले ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को लाने की कोशिश जारी
भारतीय संस्कृति और प्राचीन कलाकृतियों को बचाने के लिए पीएम मोदी के प्रयास अब रंग दिखाने लगे है। जब से नरेंद्र मोदी पीएम बने है तब से लगातार विदेश यात्राओं के दौरान पीएम इस बात पर भी जोर देते रहे कि भारत के पौराणिक और ऐतिहासिक कलाकृति जो चोरी या तस्करी के जरिये भारत से बाहर है उन्हें कैसे वापस लाया। यह पीएम मोदी को कोशिशों का ही नतीजा है कि अमेरिका की यात्रा से वापसी पर पीएम मोदी 157 पौराणिक कलाकृतियां को अपने साथ ला रहे है।
अमेरिका मे 157 कलाकृतियों को सौंपा
प्रधान मंत्री मोदी की यात्रा के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने 157 कलाकृतियों और पुरावशेषों को पीएम को सौंपा । प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत को पुरावशेषों की वापसी के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति बिडेन ने चोरी, अवैध व्यापार और सांस्कृतिक वस्तुओं की तस्करी से निपटने के अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध किया।
157 कलाकृतियों की सूची में 10 वी सदी के बलुआ पत्थर में रेवंत के डेढ़ मीटर बेस रिलीफ पैनल से लेकर 8.5 सेंटीमीटर लंबा, 12 वीं सदी का उत्तम कांस्य नटराज तक की वस्तुओं का एक विविध सेट शामिल है। इन कलाकृतियों में बड़े पैमाने पर 11 वीं सदी से 14 वीं सदी की अवधि के साथ-साथ ऐतिहासिक पुरातन जैसे कि 2000 ईसा पूर्व की तांबा मानववंशीय वस्तु या दूसरी सदी के टेराकोटा फूलदान भी शामिल है।
71 कलाकृतियां सांस्कृतिक
जबकि आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जिसमे मूर्तियां हैं जो हिंदू धर्म (60), बौद्ध धर्म (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित हैं।उनका निर्माण धातु, पत्थर और टेराकोटा से हुआ है। कांस्य संग्रह में मुख्य रूप से लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, विष्णु, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत मूर्तियाँ हैं और अन्य अनाम देवताओं और दिव्य आकृतियां भी हैं।
बौद्ध धर्म से जुड़ी कई कलाकृतियां
रूपांकनों में हिंदू धर्म से जुड़ी धार्मिक मूर्तियां जिनमे तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ वाले सूर्य, विष्णु और उनकी पत्नी, शिव की दक्षिणामूर्ति, नृत्य करते गणेश आदि है। बौद्ध धर्म से जुड़ी स्थायी बुद्ध, बोधिसत्व मजूश्री, तारा और जैन धर्म से जुड़ी जैन तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर शामिल हैं। 56 टेराकोटा के टुकड़े जिसमे दूसरी सदी के फूलदान , 12 वी सदी के हिरण की जोड़ी, 18 वीं सदी की तलवार है जिसमें शिलालेख के साथ फारसी में गुरु हरगोविंद सिंह का उल्लेख है। पीएम मोदी ने खुद इन कलाकृतियों को देखा भी । 2004 से लेकर 2014 तक सिर्फ 1 कलाकृति ही भारत सरकार वापस ला पाई थी। जबकि 1976 से 2013 तक सिर्फ 13 चोरी की कलाकृति वापस आया था।
अलग अलग देशों से कलाकृतियों को लाए जाने की कोशिश
चोरी की कलाकृतियां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, जर्मनी, कनाडा और इंग्लैंड से करीब 119 पुरानी कलाकृतियों को वापस लाने का प्रयास जारी है। यही नही नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने इसी साल जुलाई में घोषणा की है कि करीब 2.2 मिलियन डॉलर कीमत की चोरी की हुई कलाकृति भारत को वापस दिया जाएगा।
इन राज्यों से चुरा कर बाहर भेजी गई थीं कलाकृतियां
विदेशों में जो भारतीय कलाकृति है वो तमिलनाडु, एमपी, यूपी, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और बिहार से चुराई गई थी। यह मोदी सरकार द्वारा दुनिया भर से हमारी पुरावशेषों और कलाकृतियों को वापस लाने के प्रयासों का असर है कि भारतीय संस्कृति और इतिहास से जुड़ी कलाकृतियों को वापस भारत लाया जा रहा है।