- दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे का 1 अप्रैल को औपचारिक उद्घाटन
- दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करने में सिर्फ 50 मिनट लगेंगे
- एक्सप्रेस वे पर गति सीमा पर खास ध्यान दिया गया है।
नई दिल्ली। एक अप्रैल को एनसीआर को बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे पर अब गाड़ियां फर्राटे भरते हुए मेरठ तक के सफर को सिर्फ 50 मिनट में पूरी कर सकेंगी। तरह तरह की बाधाओं के बाद अब यह एक्सप्रेस वे पूरी तरह तैयार है। करीब 2 दशक पहले संसद के पटल पर रखा प्रस्ताव हकीकत में साकार हो जाएगा। इस एक्स्प्रेस वे के निर्माण में मुश्किलें आईं जैसे जमीन अधिग्रहण, किसान आंदोलन और कोरोना खास थे। लेकिन सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि हम बहुत जल्द लोगों के सपने को वास्तविकता में बदल देंगे।
1999 में आया ख्याल
दिल्ली- मेरठ के बीच यातायात को सुगम बनाने का ख्याल 1999 में आया। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। शहरी विकास और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संसद में दिल्ली के समीपवर्ती शहरों को जोड़ने के लिए चार एक्सप्रेस वे का प्रस्ताव पेश किया जिसमें ने गाजियाबाद और मेरठ के बीच बनने वाला 60 किमी लंबा राजमार्ग था। करीब 6 वर्ष बाद 2005 में गाजियाबाद और मेरठ के बीच हाईवे सेक्शन के लिए एनसीआर ट्रांसपोर्ट प्लान में अधिसूचना जारी की गई जिसमें इस प्रोजेक्ट को पूरा होने का समय 2021 रखा गया। इन सबके बीच दिल्ली गाजियाबाद एक्सप्रेस वे 2006 में एनएचएआई के फेज-6 प्रोजेक्ट का हिस्सा बना। पांच साल के बाद इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने की तारीख दिसंबर 2015 रखी गई।
दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे से जुड़ी खास बातें
- 96 किमी लंबे इस हाईवे को नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बनाया है।
- इस एक्सप्रेस वे के जरिए दिल्ली से मेरठ को जोड़ा गया है।
- यह एक्सप्रेस वे चार खंडों में विभाजित है, दिल्ली के निजामुद्दीन से शुरू होकर मेरठ के परतापुर में खत्म हो रहा है।
- दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यस्त इलाकों तक सुगम रास्ता पहुंचा रहा है।
- इस एक्स्प्रेस वे के चालू हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में 60 मिनट से भी कम समय लगेगा।
- यह एक्सप्रेस वे 14 लेन, 8 लेन और 6 लेन में है।
- जरूरत के हिसाब से 6 और 8 लेन को बढ़ाया जा सकता है।
2015 में विधिवत शिलान्यास
इस प्रोजेक्ट की उपयोगिता रिपोर्ट सकारात्मक ना रहने पर इसके लिए कांट्रैक्ट टलता रहा। लेकिन 2014 में कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स प्रोजेक्ट के अंदर सड़क बनाने की मंजूरी दी और इस तरह से 31 दिसंबक 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने इस एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखी। यह मार्ग भारी यातायात और वाहनों की आवाजाही का गवाह है जिसने दिल्ली के रिंग रोड के लिए एक समर्पित गलियारे की आवश्यकता का संकेत दिया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे भी बाईपास पर गैर-दिल्ली वाहनों के लोड को कम करने के आधार पर बनाया गया था।
यह परियोजना पहले दो चरणों में 14 लेन में है, इसके बाद डासना और हापुड़ के बीच 8 लेन और चौथे चरण में छह लेन एक्सप्रेसवे के साथ ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। 14-लेन स्ट्रेच में, छह लेन में मेरठ तक केंद्रीय एक्सप्रेसवे शामिल होगा, जबकि बाहर चार लेन हाईवे लेन होंगे।
यह प्रोजेक्ट पश्चिमी यूपी के लिए क्यों खास
इस प्रोजेक्ट को चार चरणों में शुरू किया गया। पहला चरण 8.7 किमी का था जो अक्षरधाम से शुरू होकर यूपी गेट तक था। दूसरा फेज 19.2 किमी का था जो यूपी गेट से डासना तक, तीसरा फेज 22 किमी का डासना से हापुड़ तक और चौथा फेज 46 किमी का था जो डासना से मेरठ तक है।
अधिकारियों का कहना है कि गाजियाबाद से सटे इलाकों डासना, मुरादनगर मोदीनगर में रहने वालों की संख्या ज्यादा है जो नौकरी करने के लिए रोजाना दिल्ली आते हैं और उस वजह से मौजूदा रोड पर दबाव ज्यादा है। इसकी वजह से सड़क पर हमेशा जाम की समस्या और प्रदूषण में बढ़ोतरी यह दोनों बड़ी वजहें थी। अब इस एक्सप्रेव के बन जाने से यातायात सुगम होगा और दिल्ली भी खाली होगी। इसके एक्स्प्रेस वे से ना सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड को भी खास फायदा होगा।