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Liquor sale से राज्यों को मिलता है लाखों करोड़ों का राजस्व, सरकारी तिजोरी का 'मयखाना कनेक्शन'

Updated May 04, 2020 | 12:06 IST

states earn millions from liqour sale: लाखों करोड़ी की कमाई के लोभ को राज्य सरकारें नहीं छोड़ पाती हैं, यही वजह है कि शराबबंदी वाले राज्यों को छोड़कर दूसरे राज्यों में शराब बिक्री की अनुमति दे दी गई है।

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लॉकडाउन में लिकर शॉप खोलने की है अनुमति
मुख्य बातें
  • आबकारी विभाग से राज्यों के खजाने को करीब 15 से 20 फीसद की कमाई
  • शर्तों के साथ सभी जोन में लिकर शॉप खोलने की अनुमति
  • दुकानों के खुलने के साथ ही लंबी लंबी कतारें, दिल्ली में पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज

नई दिल्ली। सोमवार से लॉकडाउन पार्ट-3 शुरू हो चुका है और यह तीसरा चरण 17 मई तक प्रभावी है। इन सबके बीच सरकार ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में आर्थिक गतिविधियों को भी इजाजत दे दी है। इस बीच देश के अलग अलग शहरों से करीब एक जैसी तस्वीरें सामने आ रही हैं और वो शराब की दुकानों के सामने लंबी कतारों से हैं। आज से पहले लोग सब्जी की दुकानों या दूध के लिए कतार में खड़े होते थे। लेकिन आज तस्वीर थोड़ी अलग थी।

शर्तों के साथ शराब बेचने की इजाजत
यह बात तो समझ में आती है लोग अपने टेस्ट के हिसाब से सामान खरीदते हैं। लेकिन सरकारों के सामने क्या इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था। एक तरफ दुकानों के सामने भीड़ है तो यूपी और महाराष्ट्र में इस बात का विरोध हो रहा है कि शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति क्यों दी गई है। इन सबके बीच सरकार ने रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन में शराब बिक्री की इजाजत शर्तों के साथ दे दी है। 

शराब बिक्री से राज्यों को 15 से 30 फीसद राजस्व
इन सबके बीच यह समझना जरूरी है कि राज्यों के कुल राजस्व में एक्साइज यानि शराब बिक्री से 15 से 30 फीसद राजस्व आता है। अगर देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी की बात करें तो यहां सरकारी खजाने में 20 फीसद योगदान शराब बिक्री से है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में राजस्व वसूली में 20 फीसद योगदान शराब से है। अगर गुजरात और बिहार में ( विदेशी शराब बंदी से मुक्त) को छोड़कर सभी राज्यों की बात की जाए तो 2019-20 में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई शराब बिक्री से हुई थी।

सभी राज्यों को मिलाकर लाखों करोड़ों की कमाई
वित्त वर्ष 2019-20 में शराब की बिक्री से महाराष्ट्र ने करीब 24 हजार करोड़, उत्तर प्रदेश ने छब्बीस हजार करोड़, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने करीब 12 हजार करोड़, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये और पंजाब को 5,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था। दिल्ली ने इस दौरान करीब 5500 करोड़ रुपये का आबकारी शुल्क हासिल किया था। अगर दिल्ली की बात करें तो  आबकारी का कुल राजसमें करीब 14 फीसदी है। अगर राजस्व वसूली के इन आंकड़ों को देखें तो कोई भी राज्य आसानी से इस लोभ को छोड़ नहीं पाता है। 

अलग अलग राज्यों के अपने अपने तर्क
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह हों या हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला हों या कोई दूसरी राज्य सरकारें हों सबका करीब करीब एक ही मत रहता है कि राज्य को चलाने के लिए आबकारी महकमे की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ऐसे में इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। हालांकि सरकार इसके साथ ही नशाबंदी के खिलाफ अभियान भी चलाती रहती है। 

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