नई दिल्ली : दुनियाभर में कोरोना महामारी के बीच डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार संक्रमितों के इलाज में जुटे हुए हैं। कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के बीच देश में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनों को खोया है, जिसका जख्म उन्हें जीवनभर सालता रहेगा। इनमें डॉक्टर्स भी शामिल हैं, जो मरीजों के उपचार के दौरान या किसी अन्य तरीके से संक्रमण की चपेट में आए और उन्होंने जान भी गंवाई। ऐसे में डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के परिवार में डर स्वाभाविक है, जिसकी वजह से वे उन्हें कई बार रोकते भी हैं कि वे अस्पताल या क्लिनिक न जाएं, लेकिन तमाम डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी हैं, जो अपने पेशे की जिम्मेदारी को समझते हुए फ्रंट पर काम कर रहे हैं और रोजाना कोविड मरीजों से दो-चार होते हैं, ताकि उन्हें इलाज मुहैया करा सकें और उनकी जान बचा सकें। डॉक्टर ए पी सिंह उन्हीं डॉक्टर्स में से एक हैं, जो संक्रमण के खतरों के बावजूद निरंतर कोविड-19 के मरीजों के उपचार में जुटे हुए हैं।
दो बार हो चुके हैं संक्रमित
कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान वह खुद दो बार संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन यह संक्रमण भी उन्हें अपनी पेशेवर जिम्मेदारी से डिगा न सका। वह संक्रमण की चपेट में आए और उबरे भी। कोविड-19 के मरीजों के निरंतर इलाज में जुटे डॉक्टर एपी सिंह हर 15 दिन पर अपना टेस्ट भी कराते रहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह संक्रमण की चपेट में नहीं हैं। रोजाना सुबह 5:30 बजे जगने के साथ ही उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। सुबह से ही उनकी दिनचर्या व्यस्तताओं के साथ शुरू होती है, जिसमें कई बार उन्हें नाश्ते का वक्त भी नहीं मिलता। ऐसे में गाजियाबाद में अपने घर से कौशांबी के यशोदा अस्पताल के लिए निकलते वक्त कई बार वह कार में ही नाश्ता भी करते हैं।
ऑनलाइन वीडियो कंसल्टेशन
अस्पताल में उनकी देखरेख में 70 से अधिक मरीज भर्ती हैं, जिनका हाल-चाल वह दिन में दो बार खुद लेते हैं। पीपीई किट में वह खुद मरीजों की जांच और उनका अपडेट लेते हैं और उसके अनुसार उन्हें दवाइयां या जरूरी जांच लिखते हैं। करीब छह घंटे पीपीई किट में बिताने के बाद जब वह घर पहुंचते हैं तो वहां अपनी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वाह करते हुए तकरीबन 2 घंटे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के मरीजों के लिए ऑनलाइन वीडियो कंसल्टेशन देते हैं। वे उन्हें जरूरी दवाएं, जांच आदि बताते हैं। वह ऐसे मरीजों को अपने क्लिनिक में चिकित्सकीय परामर्श देते हैं, जो संक्रमण के डर से अस्पताल नहीं पहुंचना चाहते। इन सबके बीच उन्हें लंच का वक्त भी मुश्किल से मिल पाता है और ऐसा करते हुए अक्सर शाम के 6 बज जाते हैं, जबकि कई बार तो यह भी नहीं हो पाता।
तीसरी लहर को लेकर आगाह
कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच डॉक्टर ए पी सिंह संभावित 'तीसरी लहर' को लेकर देशवासियों को आगाह करते हैं और कहते हैं कि 'कोविड अनुकूल' व्यवहार को अपनाकर हालात बिगड़ने से पहले से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उनका साफ कहना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में कमी के बीच लोगों को यह कतई नहीं सोचना चाहिए कि वे असावधानी बरत सकते हैं और मास्क उतार सकते हैं। उन्हें मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुसरण जारी रखने की जरूरत है। कोविड-19 की तीसरी लहर सितंबर में आने का अनुमान जताया जा रहा है।
आइसोलेशन अहम
गाजियाबाद के सीनियर फिजीशियन डॉक्टर ए पी सिंह इस संक्रामक बीमारी की रोकथाम में आइसोलेशन को अहम मानते हैं और कहते हैं कि अगर किसी में भी सर्दी, खांसी या जुकाम के भी लक्षण हैं तो उन्हें आइसोलेट कर देने की जरूरत है, ताकि संक्रमण किसी अन्य में न फैले। कई बार शुरुआती लक्षणों के दौरान टेस्ट कराने पर भी रिपोर्ट निगेटिव आती है, लेकिन पांचवें दिन के बाद भी यदि लक्षण बरकरार रहता है तो उसे 'संदिग्ध कोविड मरीज' समझा जाएगा और उसी के अनुसार उसका उपचार किया जाता है।
अब तक के अपने अनुभवों के आधार पर डॉक्टर ए पी सिंह को किसी मरीज के खांसने के अंदाज से भी यह समझने में देर नहीं लगती कि उसे कोविड का संक्रमण है या सामान्य इन्फ्लुएंजा।