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Supertech Twin Tower: 10 मिनट तक छाया रहेगा गुबार, जानिए सुपरटेक ट्विन टॉवर गिराने की पूरी ABCD

Updated Aug 28, 2022 | 10:21 IST

Supertech Twin Tower: ट्विन टावर की दोनों इमारतें कुतूबमीनार से भी ऊंची हैं। एक टावर 32 मंजिला और दूसरी 29 मंजिला है। वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हक में फैसला सुनाते हुए टावर को गिराने का आदेश दिया। सुपरटेक फ्लैट के खरीदारों को ब्याज सहित रकम लौटाएगा।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
कैसे गिराए जाएंगे सुपरटेक के दोनों टॉवर
मुख्य बातें
  • इमारतें 15 सेकंड से भी कम वक्त में ताश के पत्तों की तरह ढह जाएंगी।
  • 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टावरों को गिराने का निर्देश दिया।
  • नोएडा अथॉरिटी के 26 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

Supertech Twin Tower: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों (Supertech Twin Tower) को गिराने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। रविवार को दिन के ढाई बजे के करीब इसे विस्फोट कर दोनों टावरों को गिराया जाएगा। टावर गिराने की प्रक्रिया में किसी तरह की चूक न हो इसकी बड़े स्तर पर तैयारी की गई है। मौके पर एनडीआरएफ एवं पुलिस की टीमें तैनात की गई हैं। नोएडा के सेक्टर 93 में स्थित ट्विन टावर इतिहास बन जाएंगे। मौके पर दमकल विभाग के लोग एवं एंबुलेंस मौजूद हैं। आपातकालीन सेवा को तैयार रखा गया है।   

कुतुब मीनार से भी ऊंची ये इमारत बिल्डर और अथॉरिटी के अधिकारियों के मिलीभगत से भ्रष्टाचार की ये इमारत तैयार हुई थी। और इस इमारत में अपने घर का सपना देखने वाले लोगों की 13 साल की लड़ाई का नतीजा है कि अब दोनों टॉवर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराए जा रहे हैं।

क्या है मामला

इस भ्रष्टाचार की इमारत को बनाने की कहानी 18 साल पहले नवंबर 2004 से शुरू होती है। उस वक्त न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने एक हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण के लिए सेक्टर 93 ए में सुपरटेक को जमीन आवंटित किया। और उसके बाद जरूरी मंजूरी मिलने के बाद सुपरटेक ने नवंबर 2005 में एमराल्ड कोर्ट  ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण शुरू किया।

इसके बाद दिसंबर 2006 में 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स के निर्माण के लिए प्लान में बदलाव किया गया और 2009 में सुपरटेक ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर ट्विन टावर का निर्माण शुरू कर दिया। जिसे देख रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध जताया क्योंकि पहले अथॉरिटी ने निर्माण क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट बताया था। इसके अलावा निर्माण के दौरान कंपनी ने फायर सेफ्टी मानकों और ओपेन एरिया के मानकों का भी उल्लंघन किया। साथ ही निर्माण के दौरान दूसरी इमारतों के बीच उचित दूरी के नियमों का भी उल्लंघन किया।

अथॉरिटी से कोई मदद नहीं मिलता नहीं देख, साल 2009 में आरडब्ल्यूए ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया। और 2010 में कोर्ट में याचिका दायर की। मामला अटकता देख सोसाइटी के लोग 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे, जहां 2014 में  हाईकोर्ट ने विवादित टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया और आरोपी नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा। इसके बाद सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। लेकिन वहां से भी उन्हें निराश हाथ लगी और 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टावरों को गिराने का निर्देश दिया। और अब इसी फैसले पर 28 अगस्त को दोनों टॉवर गिराए जाएंगे।

26 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, नए नियम सख्त

इस मामले में नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सुपरटेक के ट्विन टावर का मामला सरकारी अधिकारियों के लिए एक सबक भी है, क्योंकि परियोजना में संलिप्तता के आरोप में नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस मामले पर राज्य सरकार ने एक एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया था। जिसने मामले में अलग-अलग समय पर 26 अधिकारियों की मिली-भगत पाई। इन सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए नोएडा प्राधिकरण ने एक नया प्रारूप तैयार किया है। जिसके तहत निर्माताओं को इस तरह के निर्माण के लिए खरीदारों की मंजूरी लेनी होगी। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पहले अस्तित्व में नहीं थी। पहले बिल्डर फ्लैट बेचने के दौरान खरीदारों की मंजूरी लेते थे। अब नए सिरे से मंजूरी ली जाएगी। इसके अलावा एफएआर वितरण के मानदंडों को उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम के अनुसार सख्त बनाया गया है। पहले बिल्डरों को किस्तों में भुगतान करने के लिए दो साल का समय मिलता था। अब उन्हें तीन महीने में पूरी राशि का भुगतान करना होगा।

कैसे गिरेंगे टॉवर, मलबे का क्या होगा

100 मीटर से थोड़ी ज्यादा ऊंची इमारतें 15 सेकंड से भी कम वक्त में ताश के पत्तों से बने घर की तरह ढह जाएंगी। इसके लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। इमारतों के गिरने  के बाद सबसे बड़ा सवाल 35000 घन मीटर मलबे को हटाने का है। मुंबई स्थित कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी जेट डिमोलिशंस के साथ मिलकर टॉवरों  को गिराने का जिम्मा संभाल रही है।

कंपनी द्वारा न्यूज एजेंसी को दी गई जानकारी के अनुसा सभी विस्फोटकों में धमाका होने में नौ से 10 सेकंड का वक्त लगेगा और धमाकों के बाद इमारतों को पूरी तरह मलबे के ढेर में तब्दील होने में चार से पांच सेकंड का वक्त लगेगा। इसके बाद धूल का गुबार छंटने में लगभग 10 मिनट का वक्त लगेगा। तकरीबन 35,000 घन मीटर क्षेत्र में मलबा और धूल का गुबार पैदा होगा। इसे हटाने को लेकर नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक (योजना) इश्तियाक अहमद ने बताया कि 21,000 घन मीटर मलबे को वहां से हटाया जाएगा और पांच से छह हेक्टेयर की एक निर्जन जमीन पर फेंका जाएगा और  बाकी मलबा ट्विन टावर के भूतल क्षेत्र में भरा जाएगा। जहां एक गड्ढा बनाया गया है।

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घर खरीददारों का क्या होगा

सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के फैसले के बाद यह भी सवाल उठता रहा है कि खरीददारों का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुपरटेक को दो महीने के भीतर 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ ट्विन टावरों में फ्लैट खरीदारों को सभी राशि वापस करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ का भुगतान करने का भी आदेश दिया था। इकोनॉमिक टाइम्स की 4 अप्रैल की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां ट्विन टावर्स के कुल 711 होम बायर्स थे, जिनमें से कंपनी ने 652 होम बायर्स के दावे का निपटारा किया था। जबकि 59 खरीददारों का अभी भी बकाया है। इस बीच मार्च 2022 में सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने दिवालिया घोषित कर दिया है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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