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सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों से पूछा- क्या आप आयुष्मान भारत के खर्च पर करेंगे कोविड-19 के मरीजों का इलाज?

Updated Jun 05, 2020 | 14:24 IST

Ayushman Bharat: सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों से जानना चाहा कि क्या वे सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित खर्च पर कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए तैयार हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल हर अस्पताल से नहीं पूछा है
मुख्य बातें
  • आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 1 करोड़ से अधिक लोगों ने इलाज कराया है
  • इस योजना के तहत किसी भी सरकारी अस्पताल और प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्र में 5 लाख तक का मुफ्त इलाज करा सकते है
  • सितंबर 2018 में शुरू हुई थी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों से पूछा कि क्या वे सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित शुल्क पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को इलाज देने के लिए तैयार हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह केवल उन निजी अस्पतालों से कोविड-19 के कुछ मरीजों का मुफ्त में इलाज करने के बारे में पूछ रहे हैं जिन्हें रियायती दरों पर जमीन दी गई है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार निचले तबके के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कर रही है, जो लोग अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं है, उन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर किया गया है।

हर निजी अस्पताल से नहीं है सुप्रीम कोर्ट का सवाल

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिा एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सभी निजी अस्पतालों से कोविड-19 के कुछ मरीजों का मुफ्त इलाज करने के लिए नहीं कह रही है। वह सिर्फ उन निजी अस्पतालों से एक निश्चित संख्या में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का मुफ्त इलाज करने के लिए कह रही है जिन्हें सरकार ने रियायती कीमत पर भूमि आबंटित की हैं। 

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज पर आने वाले खर्च की अधिकतम सीमा तय करने की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई की और केंद्र सरकार ने इस पर एक सप्‍ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

आयुष्मान भारत योजना के 1 करोड़ लाभार्थी

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीजों का मुफ्त में इलाज हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता तो उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज है, करीब-करीब 14 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से खर्च करने पड़ते। आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी 80% ग्रामीण इलाकों में से 50% लाभार्थी माता-बहन और बेटियां हैं। इस योजना के तहत 70% लोगों ने सर्जरी कराई है और बड़ी तकलीफों से मुक्ति मिली है।

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