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राम मंदिर बाबरी मस्जिद केस : सुप्रीम कोर्ट ने 5-0 से सुनाया ऐतिहासिक फैसला, विवादित जमीन पर राम लला का हक

Supreme court decision on Ram mandir in the case of babri masjid ram mandir disputes
Updated Nov 09, 2019 | 11:55 IST

Ram Temple Verdict : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन (राम लला) राम जन्मभूमि न्यास को देने का आदेश दिया है।

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Supreme court decision on Ram mandir in the case of babri masjid ram mandir disputesSupreme court decision on Ram mandir in the case of babri masjid ram mandir disputes
अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला।
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सर्वसम्मति से 5-0 से मंदिर के पक्ष में सुनाया फैसला
  • विवादित जमीन राम लला को देने का आदेश, मुस्लिमों को मिलेगी वैकल्पिक जमीन
  • इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज किया, मुस्लिमों को मिलेगी 5 एकड़ जमीन

नई दिल्ली : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने 5-0 से अपना  ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम लला को देने का फैसला सुनाया है साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने 2010 के हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा है कि विवादित जमीन को तीन हिस्से में बांटने का फैसला गलत था। कोर्ट ने विवादित जमीन राम जन्मभूमि ट्रस्ट को देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मस्जिद के निर्माण के लिए मुस्लिमों को पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं। हम आगे क्या करना है, इस पर विचार करेंगे। अयोध्या पर फैसला देने वाली संवैधानिक पीठ में सीजेआई गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। इस फैसले पर देश भर की नजरें लगी थीं। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा कानूनी मामला है जिस पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की है।   

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अयोध्या केस में अंतिम फैसला देने से पहले कोर्ट ने फैसले का ऑपरेटिव पार्ट पढ़ा। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया है। साथ ही निर्मोही अखाड़ा के सेवादार होने के दावे को भी खारिज किया गया। अखाड़ा ने जन्मभूमि के प्रबंधन की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू समुदाय की मान्यता एवं विश्वास है कि गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्म हुआ। इसे खारिज नहीं किया जा सकता। आस्था व्यक्तिगत चीज है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हिंदू अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। इस स्थान से उनकी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हैं। मुस्लिमों का कहना है कि यहां बाबरी मस्जिद थी। अयोध्या में भगवान राम का जुन्म हुआ, हिंदुओं की यह आस्था अविवादित है।' शीर्ष अदालत ने कहा, 'इस बात के साक्ष्य हैं कि हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई की पूजा अंग्रेजों के आने से पहले से करते आ रहे थे। साक्ष्य यह भी बताते हैं कि विवादित भूमि के बाहरी परिसर पर हिंदुओं का कब्जा था।'

शीर्ष अदालत ने कहा, 'टाइटिल पर फैसला मान्यता एवं विश्वास पर नहीं किया जा सकता। ऐतिहासिक साक्ष्य इस विश्वास का संकेत देते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है।'

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याचिकाकर्ताओं ने 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को अपनी 14 याचिकाओं के जरिए चुनौती दी थी जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों तक सुनवाई की। कोर्ट ने अयोध्या के टाइटिल सूट पर सुनवाई की है। अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर तीन पक्षों निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया था। इन तीनों पक्षों ने विवादित जमीन पर अपने हक का दावा किया था। 

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