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सुप्रीम कोर्ट ने पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखा

Updated Jul 13, 2020 | 11:14 IST

Sree Padmanabhaswamy Temple: सुप्रीम कोर्ट ने केरल के तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखा है।

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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
मुख्य बातें
  • पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार बरकरार
  • मंदिर के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे
  • केरल हाई कोर्ट ने 2011 में सरकार से पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार को बरकरार रखा है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे। श्री पद्मनाभस्वामी का प्रशासन जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति को दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के 31 जनवरी 2011 के उस आदेश को रद्द किया है, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था। 

केरल हाई कोर्ट के 2011 के आदेश को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अंतिम शासक की मृत्यु के परिणामस्वरूप परिवार के अधिकारों का हनन नहीं होगा। केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि 1991 में त्रावणकोर के अंतिम शासक की मृत्यु के बाद शाही परिवार के अधिकारों का अस्तित्व समाप्त हो गया।

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यों वाली बेंच (जस्टिस यू यू ललित और इंदू मल्होत्रा) ने ये फैसला सुनाया। इस सिलसिले में अंतिम जिरह पिछले साल अप्रैल के महीने में हुई थी। दरअसल 2011 में केरल हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था, जिसमें श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्तियां और प्रबंधन पर केरल सरकार का अधिकार होना था। जस्टिस सी एन रामचंद्रन नायर और के सुरेंद्र मोहन ने सरकार को निर्देश दिया था कि कि वो सभी कालरा को खोले। इसके साथ ही एक म्यूजियम का निर्माण करे जिसमें मंदिर के खजाने को रखा जाए जिसका दर्शन आम लोग, श्रद्धालु और पर्यटक कुछ शुल्क देकर देख सकें। 

केरल हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ त्रावणकोर के राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर वकील गोपाल सुब्रमण्यम को न्यायालय मित्र नियुक्त किया। इस सिलसिले में पूर्व कैग विनोद राय की नियुक्ति मंदिर के रखरखाव संबंधी व्यय आदि के खर्चों की ऑडिट करने की जिम्मेदारी दी गई। लंबी जांच पड़ताल के बाद न्यायालय मित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने रिपोर्ट पेश की थी।

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