- चीन से तनाव के बीच वायुसेना प्रमुख ने कहा कि LAC पर अपनी ताकत कम करने का सवाल ही पैदा नहीं होता
- वायुसेना प्रमुख ने वादों के समाधान के लिए कमांडर स्तर की वार्ता को लेकर बातचीत जारी होने की बात भी कही
- पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच IAF चीफ ने कहा कि एक साल पहले के मुकाबले आज हम अधिक मजबूत स्थिति में हैं
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से तनाव के बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि सीमा पर अपनी ताकत को कम करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि कमांडर स्तर की अगले दौर की वार्ता के लिए बातचीत चल रही है और पहली कोशिश बातचीत जारी रखने के साथ-साथ विवाद के बिंदुओं पर डिस्एंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा करना है, जिसके लिए दोनों पक्षों ने इस साल की शुरुआत में सहमति जताई थी।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते साल अप्रैल-मई में चीन के साथ शुरू हुए तनाव के बीच वायुसेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि आज भारत की स्थिति पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा, 'एक साल पहले जब ये हुआ था हमने तैनाती की थी। उसके बाद एक साल में हमारी ताकत को कम करने का तो सवाल ही पैदा नहीं है। इस एक साल में हमने भी कदम उठाए हैं और काम किया है। हमारी क्षमता जो एक साल पहले थी आज उससे कहीं ज्यादा है।'
'अगले दौर की वार्ता के लिए बातचीत जारी'
भारत और चीन के बीच अगले दौर की कमांडर स्तर की बातचीत को लेकर उन्होंने कहा, 'अगले दौर की वार्ता के लिए बातचीत चल रही है। कमांडर स्तर की बातचीत का प्रस्ताव है और इस बारे में निर्णय लिए जाएंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि पहला प्रयास बातचीत जारी रखने और संघर्ष के बिंदुओं से डिस्एंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा करना और उसके बाद डी-एस्केलेशन की दिशा में आगे बढ़ना है।
वायुसेना प्रमुख शनिवार को हैदराबाद के डुंडीगल में वायुसेना अकादमी में कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने तेजी से बदल रही सुरक्षा चुनौतियों और पड़ोस एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर भारतीय वायुसेना के अभियानों में प्रौद्योगिकी और लड़ाकू ताकत के समावेश पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'वायुसेना परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है। हमारे अभियानों के हर पहलू में प्रौद्योगिकियों और लड़ाकू शक्ति का जितनी तेजी से समावेश अब हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। यह मुख्य रूप से हमारे पड़ोस और अन्य क्षेत्रों में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के अलावा हमारे सामने मौजूद अभूतपूर्व और तेजी से बदल रहीं सुरक्षा चुनौतियों के कारण है।'