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तीरा कामत : 16 करोड़ रुपये के विदेशी इंजेक्‍शन से होगा 5 माह की मासूम का इलाज, मिली टैक्‍स छूट

Updated Feb 10, 2021 | 15:22 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

पांच माह की तीरा कामत मुंबई के अस्‍पताल में मौत से जंग लड़ रही है। उसके इलाज के लिए जिस इंजेक्‍शन की जरूरत है, वह विदेश से मंगाया जा रहा है, जिस पर करीब 6 करोड़ रुपये का टैक्‍स आ रहा था।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
तीरा कामत : 16 करोड़ रुपये के विदेशी इंजेक्‍शन से होगा 5 माह की मासूम का इलाज, मिली टैक्‍स छूट

मुंबई : तीरा कामत मुंबई के एक अस्‍पताल में मौत से जंग लड़ रही है। 5 महीने की मासूम तीरा जिस गंभीर बीमारी से जूझ रही है, उसके उपचार के लिए 16 करोड़ रुपये की आवश्‍यकता है। यह उस इंजेक्‍शन की कीमत है, जो इस मासूम को लगाया जाना है। उसके घरवालों ने क्राउड फंडिंग के माध्‍यम से यह रकम जुटा भी ली है, लेकिन खर्च सिर्फ इतना तो नहीं है। इसके साथ दूसरे खर्चे भी हैं, जिनमें इस पर लगने वाला कस्‍टम शुल्‍क, जीएसटी, ट्रांसफर शुल्क, डॉलर एक्सचेंज के लिए दिए जाने वाले पैसे भी शामिल हैं।

तीरा के घरवालों को अब इस दिशा में बड़ी राहत मिलती नजर आ रही है। तीरा के लिए यह इंजेक्‍शन विदेश से आने वाला है, क्‍योंकि 5 महीने की यह मासूम जिस दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है, उसका इलाज भारत में नहीं हे। विदेश से आने वाले इस इंजेक्‍शन पर 6 करोड़ रुपये का टैक्‍स बनता है, जिससे इसकी कुल कीमत 22 करोड़ रुपये की हो जाती है। लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पहल के बाद अब इंजेक्‍शन पर लगने वाले टैक्‍स से छूट दे दी गई है। फडणवीस ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसके बाद यह छूट दी गई है।

किस बीमारी से पीड़‍ित है तीरा कामत?

इस मासूम का जन्‍म पांच महीने पहले हुआ था, तब वह जन्‍म के वक्‍त रोई थी थी और सब ठीक ही था। हां, आम बच्‍चों की तुलना में उसकी लंबाई थोड़ी ज्‍यादा थी और इसलिए मां बाप ने उसका ये खास नाम तीरा रखा, यानी तीर की तरह लंबी। तीरा अस्‍पताल से घर आ गई थी और सब ठीक ही चल रहा था, लेकिन अचानक उसे मां का दूध पीने में द‍िक्‍कत होने लगी। दूध पीते वक्‍त उसका दम घुटता था और एक-आध बार कुछ सेकंड के लिए उसकी सांस भी थम गई। पोलियो ड्रॉप पिलाए जाने के दौरान भी जब उसे इसी तरह की दिक्‍कत हुई, तब खतरे का अंदाजा लगा।

डॉक्‍टरों ने उसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी यानी SMA टाइप 1 से पीड़ित पाया। उसके शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन ही मौजूद नहीं था, जिससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं जीवित रहती हैं। यही वजह है कि उसके शरीर की तंत्रिकाएं निर्जीव होने लगी थीं। दिमाग की मांसपेशियां भी निर्जीव होती जा रही थीं, जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे 13 जनवरी को मुंबई के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। धीरे-धीरे उसके एक फेफड़े ने भी काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया।

इंजेक्‍शन पर नहीं लगेगा कोई टैक्‍स

तीरा के माता-पिता का नमा प्रियंका और मिहिर है, जिनके पैरों के नीचे से उस वक्‍त जमीन खिसक गई थी, जब डॉक्‍टरों ने उन्‍हें बताया कि यह मासूम ज्‍यादा दिनों तक जी नहीं सकेगी, क्‍योंकि भारत में इसका उपचार उपलब्‍ध नहीं है। नाजुक हालत में उसे कहीं लेकर जाना भी मुश्किल था, इसलिए यह खास इंजेक्‍शन अमेरिका से मंगाने की कोशिश हुई। इंजेक्‍शन की 16 करोड़ रुपये की कीमत सुनकर पहले तो वे सकते में आए, लेकिन फिर उन्‍होंने क्राउड फंडिंग के जरिये यह रकम जुटाने की कोशिश शुरू कर दी, जिसमें उन्‍हें सफलता भी मिली।

उनकी चिंता अब इस इंजेक्‍शन पर लगने वाले अलग-अलग तरह के टैक्‍स को लेकर थी, जो तकरीबन 6.5 करोड़ रुपये है। अब सरकार ने इस पर लगने वाले सभी तरह के टैक्‍स से छूट देने का फैसला किया है, जिसे तीरा के परिजनों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। 
 

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