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Kashmir Files:बिट्टा कराटे को था फांसी का डर, जानें कैसे बचा कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोपी

Updated Mar 15, 2022 | 14:33 IST

Who is Terrorsit Bitta Karate: फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा श्रीनगर का रहने वाला है। वह करीब 20 साल की उम्र में आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान चला गया था। उसके ऊपर 20 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप है।

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कश्मीर फाइल्स फिल्म से फिर चर्चा में आया आतंकी बिट्टा कराटे
मुख्य बातें
  • बिट्टा को जून 1990 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।
  • वह करीब 16 साल तक जेल में रहा, लेकिन बाद में उसे 2006 में जमानत मिल गई।
  • टेरर फंडिंग मामले में भी बिट्टा से NIA पूछताछ कर चुकी है।

Kashmir Files, Who is Bitta Karate: फिल्म 'द कश्मीरी फाइल्स' से एक बार फिर खूंखार आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की हैवानियत की यादें ताजा हो रही है। करीब 31 साल पहले  दिए एक इंटरव्यू में बिट्टा, जिस तरह कश्मीरी पंडितों की हत्या करने की बात कुबूलता है, और यह कहता है कि ऑर्डर मिलने पर वह अपनी मां की भी हत्या करने से बिल्कुल नहीं हिचकता। उससे साफ पता चलता है कि उसका किस तरह ब्रेनवॉश कर दिया गया था। बिट्टा कश्मीर से पाकिस्तान जाकर आतंक की ट्रेनिंग लेने वाले पहले बैच का भी हिस्सा था। 31 साल पहले पत्रकार मनोज रघुवंशी को दिए गए इंटरव्यू में वह यह भी कहता है कि उसे लगता है कि उसे फांसी की सजा मिलेगी। हालांकि 20 से ज्यादा लोगों की हत्या की बात स्वीकार करने वाला बिट्टा, अभी भी जिंदा है। और उसे करीब 16 साल जेल में रहने के बाद 2006 में पर्याप्त सबूतों के अभाव में जमानत मिल गई थी।

कैसे बना आतंकवादी

फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा श्रीनगर का रहने वाला है। रिपोर्ट्स के अनुसार वह करीब 20 साल की उम्र में आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान चला गया था।  कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (KLF)का एरिया कमांडर इशफाक मजीद वानी उसे पाक अधिकृत कश्मीर ले गया। जहां उसकी 32 दिनों की ट्रेनिंग हुई। बिट्टा,  कश्मीर से पाकिस्तान जाकर आतंकी ट्रेनिंग लेने वाले पहले बैच का सदस्य था। वह इंटरव्यू में बताता है कि ट्रेनिंग लेकर कश्मीर पहुंचने के बाद वह वानी के कहने पर लोगों की हत्याएं करने लगा। उसने करीब 20 लोगों को मारा, जिसमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित थे। सबसे पहले उसने कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या की थी। उसने इंटरव्यू में बताया कि उसका संबंध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से था इसलिए उसने उसकी हत्या कर दी।

16 साल जेल में रहा

बिट्टा को जून 1990 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर निर्दोष कश्मीरी पंडितों की हत्या सहित 19 से अधिक आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। बिट्टा 2006 तक करीब 16 साल जेल में रहा। 23 अक्टूबर 2006 को जम्मू की टाडा अदालत ने बिट्टा कराटे को जमानत दे दी थी। जमानत से पहले जिस पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत बिट्टा को गिरफ्तार किया गया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। और उसके बाद जांच एजेंसियां बिट्टा के मामले में कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई। जिसके आधार पर उसे 2006 में जमानत मिल गई थी।

आतंकियों को फंडिंग मामले में पूछताछ

इसके बाद जुलाई 2017 में आतंकियों को फंडिंग कराने के मामले में भी बिट्टा पर शिकंजा कसा जा चुका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)इस मामले में बिट्टा से पूछताछ कर चुकी है। एनआईए की एक टीम ने  फारूक अहमद डार उर्फ 'बिट्टा कराटे' और जावेद अहमद बाबा उर्फ 'गाजी' से श्रीनगर में लगातार 4 दिनों तक पूछताछ की थी। इसके बाद को इन दोनों को अपने बैंक खातों की जानकारी और संपत्ति के दस्तावेजों के साथ पूछताछ के लिए दिल्ली भी बुलाया गया था। और वहीं  उसे गिरफ्तार भी किया गया था। फिलहाल अभी बिट्टा कश्मीर में रह रहा है।

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