- साल 2000 से 21 अक्टूबर 2021 तक जम्मू और कश्मीर में 21792 लोगों की मौत हुई है।
- सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं 2000-2006 के दौरान हुईं, इस दौरान साल 2001 में सबसे ज्यादा 4011 लोग मारे गए।
- अक्टूबर के आंकड़े इसलिए चिंताजनक हैं कि कुुल मारे गए 36 लोगों में से केवल 15 आतंकवादी मारे गए हैं।
नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह शनिवार से जम्मू और कश्मीर के दौरे पर हैं। वह ऐसे समय में कश्मीर के दौरे पर हैं, जब कश्मीर में गैर कश्मीरियों को आतंकी सीधे निशाना बना रहे हैं। यात्रा के दौरान वह आतंकियों के शिकार बने लोगों के परिवार जनों से भी मिल रहे हैं। अक्टूबर के महीने में आतंकियों ने अपनी रणनीति बदलते हुए, कश्मीरी पंडित और प्रसिद्ध फार्मासिस्ट माखन लाल बिंद्रू की हत्या कर दी। इसके अलावा यूपी और बिहार से रोजगार के तलाश में आए प्रवासी श्रमिकों को भी हत्या कर दी है।
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार अकेले अक्टूबर में (21 अक्टूबर तक) तक 35 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें 36 लोगों की मौत हुई है। जो कि जुलाई 2021 के बाद सबसे ज्यादा मौत के आंकड़े हैं। उस दौरान 38 लोगों की जान गई थी। चिंता की बात यह है कि जुलाई के दौरान 38 में से 33 आतंकी मारे गए थे। जबकि अक्टूबर के दौरान 36 में से 15 आतंकी ढेर हुए हैं। वहीं इस दौरान 11 नागरिक मारे गए जबकि 10 सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए हैं।
अक्टूबर के आंकड़े चिंता जनक
सरकार के लिए अक्टूबर के आंकड़े, इसलिए चिंताजनक हैं क्योंकि अगर 2021 में जनवरी से अक्टूबर तक के आंकड़ों को देखा जाय, तो केवल अक्टूबर में ही ऐसा हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं, और सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए हैं। साल 2021 के 10 महीने के अंदर कुल 30 आम नागरिक मारे गए हैं और 35 सुरक्षा बलों के लोग शहीद हुए हैं। यानी अकेले अक्टूबर में करीब एक तिहाई आम नागरिक मारे गए और सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए हैं। हालांकि अगर इन दस महीनों का आंकड़ा देखा जाय, तो जनवरी से 21 अक्टूबर तक कुल 213 लोगों की मौत हुई है। उसमें से 146 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतार दिया है। जबकि इस दौरान 30 नागरिकों की मौत हुई है और 35 सुरक्षा बलों के लोग शहीद हुए हैं।
गृहमंत्री को क्या है उम्मीद
रविवार को राज्य के दौरे के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा "5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐतिहासिक निर्णय किया, उससे सालों से चली आ रही एक अन्यायी धारा को खत्म किया, 370 और 35ए हटी और जम्मू कश्मीर के लाखों नागरिकों को अपने अधिकार प्राप्त हुए। अगर 45 हजार युवा जम्मू कश्मीर के गरीबों की सेवा में लगते हैं, तो दहशतगर्द कुछ नहीं बिगाड़ सकते और ये युवा देखते-देखते जम्मू-कश्मीर को बदल देंगे। कुछ लोग सुरक्षा के बारे में सवाल उठाते हैं उनको मैं कुछ आंकड़े देना चाहता हूं। 2004-2014 के बीच में 2081 नागरिकों की मृत्यु हुई, प्रति वर्ष 208 नागरिक मारे गए। 2014 से सितंबर 2021 तक 239 नागरिकों ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जान गंवायी है जो कि 208 की जगह प्रतिवर्ष 30 हो गई है। श्री अमित शाह ने कहा कि हम ऐसी स्थिति का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें यहां एक भी व्यक्ति की जान न जाए और दहशतगर्दी समाप्त हो जाए।"
अगस्त 2019 के बाद कम हुई आतंकी घटनाएं
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2019 के बाद (जब से जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए हटाई गई) से राज्य में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। साल 2018 में जहां 597 आतंकी घटनाएं घटी, वहीं 2019 में 369, 2020 में 415 और 2021 में 21 अक्टूबर तक 371 आतंकी घटनाएं घटी हैं। पिछले 21 साल में आतंकी घटनाओं के मामले में 2012 से 2016 के दौरान 300 से कम घटनाएं घटी थी। जबकि साल 2001 में सबसे ज्यादा 2864आतंकी घटनाएं घटी । पिछले 21 साल में राज्य में कुल 21055 आतंकी घटनाएं घटी हैं।
इस तरह अगर आतंकी घटनाओं में मौत के मामले को देखा जाय तो 2018 में 452 लोग मौत के शिकार हुए हैं। इसमें से 278 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतार दिया। वही 2019 में 283 लोग मौत के शिकार हुए हैं। इसमें से 163 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतार दिया। वही 2020 में 321 लोग मौत के शिकार हुए हैं। इसमें से 232 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतार दिया। वही 2021 में 21 अक्टूबर तक 213 लोग मौत के शिकार हुए हैं। इसमें से 148 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतार दिया।